मुंबई .जिन ऊंची ऊंची इमारतों में रहने वाले ऊंचे लोग रात में चैन की नींद सोते हैं, उन इमारतों की दिन रात सुरक्षा करने वाले सुरक्षा रक्षकों की फिक्र आज किसी को नहीं है। अधिकांश निजी सुरक्षा कंपनियों से संबद्ध इन सुरक्षा रक्षकों ने जिस समर्पण भाव से कोरोना के संकट काल में ड्यूटी की है वह स्वागत योग्य है। इसके बावजूद इनके हितों की अनदेखी की जा रही है। निजी सुरक्षा एजेंसियों के साथ समन्वय स्थापित करने के लिए बनाई गई सिक्युरिटी गार्ड बोर्ड करोड़ों रुपए पंजीकरण के रूप में लेने के बाद इन सुरक्षा रक्षकों के कल्याण (वेलफेयर) के लिए कुछ नहीं करता।
भारतीय सुरक्षा संघ के अध्यक्ष गुरुचरण सिंह चौहान ने बताया कि सभी निजी सुरक्षा एजेंसियों से गार्ड के पंजीयन शुल्क के रूप में बोर्ड 100 रुपए प्रति गार्ड के रूप में लेता है। उसके बाद दूसरे पूल में गार्ड बोर्ड के साथ पंजीकृत किया जाता है। प्रत्येक प्रिवेंटिव नियोक्ता को प्राइवेट गार्ड्स को पंजीकरण शुल्क के रूप में 1000 का भुगतान करना पड़ता है। साथ ही सिक्योरिटी गार्ड बोर्ड, एजेंसियों और बोर्ड द्वारा नियुक्त निजी गार्ड्स के वेतन पर 3 प्रतिशत लेवी के रूप में वसूलता है। बोर्ड ने लगभग 100 करोड़ से अधिक की वसूली की है, लेकिन एजेंसियों के गार्ड्स को एक रुपए का कल्याण नहीं दिया है। इस रकम को बोर्ड ने प्राइवेट एजेंसियों की गरीब गार्ड्स की मजदूरी पर इकट्ठा किया है। बोर्ड के गार्ड्स के कल्याण के लिए इस पैसे को कैसे खर्च कर सकते हैं। संघ के अध्यक्ष गुरुचरण सिंह चौहान ने कहा, उन्होंने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, उप-मंत्री अंजीत पवार और श्रम मंत्री दिलीप वेली को पत्र दिया है। कोरोना काल में अभी तक 20 से ज्यादा सिक्योरिटी गार्डस की मौत हुई हैं, हज़ारों गार्ड्स बीमार हैं, लेकिन सरकार की तरफ से प्राइवेट गार्डस की मदद नही की जा रही है, जबकि सरकार के पास प्राइवेट गार्ड्स का 100 करोड रुपया हैं, हम उसी पैसों में से अपने गार्ड्स के लिए सरकार से मदद मांग रहे है, और अपील करते हैं कि सरकार प्राइवेट गार्ड्स के सौतेला व्यवहार नहीं करेगा।
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