राजस्थान में जारी सियासी संकट के बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की. ये बैठक करीब 1.30 घंटे चली. बैठक के बाद उन्होंने ऐलान कर दिया कि वे कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव नहीं लड़ेंगे. इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि राजस्थान में जो कुछ हुआ, उसके लिए वे काफी दुखी हैं, वे काफी आहत हुए हैं. इसके लिए उन्होंने सोनिया गांधी से माफी भी मांगी है.
अशोक गहलोत ने कहा, ‘कांग्रेस में मुझे बीते 50 सालों से सम्मान मिलता रहा है. हमेशा मुझ पर विश्वास करके जिम्मेदारी दी गई. इंदिरा गांधी, राजीव गांधी से लेकर आज तक मुझ पर भरोसा रखा गया. कांग्रेस महासचिव से लेकर तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने तक का सफर हाईकमान के आशीर्वाद से ही रहा है.’ इसके अलावा उन्होंने कहा कि अब जो हालात बने हैं, उसमें मैं कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव नहीं लड़ूंगा.
अशोक गहलोत ने कहा कि रविवार को जो घटना हुई थी, उसने मुझे हिलाकर रख दिया है. इससे यह संदेश गया कि जैसे मुख्यमंत्री बना रहना चाहता हूं. इसे लेकर मैंने सोनिया गांधी जी से माफी मांगी है. हमारे यहां एक लाइन का प्रस्ताव पारित करने का तो प्रस्ताव रहा ही है. दुर्भाग्य की बात रही कि वह प्रस्ताव पारित नहीं हो पाया. मैं उसे पारित नहीं करा पाया तो सीएम रहने के चलते मैं अपनी गलती मानता हूं. राजस्थान के सीएम ने कहा कि पूरे देश में मुझे लेकर गलत माहौल बनाया गया.
अध्यक्ष पद के चुनाव को लेकर अशोक गहलोत ने कहा कि जो हुआ है, उस हालात में मैने तय किया है कि अब कांग्रेस अध्यक्ष का इलेक्शन नहीं लड़ूंगा. अशोक गहलोत के ही बयान से उनके सीएम बने रहने को लेकर भी संशय पैदा हो गया है. 10 जनपथ के बाहर मीडिया ने जब उनसे सीएम पद को लेकर पूछा तो उन्होंने कहा कि इसका फैसला भी सोनिया गांधी को ही लेना है.
अशोक गहलोत ने ऐसे समय में कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव नहीं लड़ने का एलान किया है जब पार्टी के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह इस चुनाव के लिए नामांकन पत्र दाखिल करने की तैयारी में हैं. लोकसभा सदस्य शशि थरूर 30 सितंबर को अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करेंगे.
राजस्थान में राजनीतिक संकट के बीच पार्टी पर्यवेक्षक मल्लिकार्जुन खड़गे और अजय माकन ने मंगलवार (27 सितंबर) को ‘घोर अनुशासनहीनता’ के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के करीबी तीन नेताओं के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की अनुशंसा की थी. इसके कुछ देर बाद ही पार्टी की अनुशासनात्मक कार्रवाई समिति की ओर से इन्हें ‘कारण बताओ नोटिस’ जारी कर दिये गये.
राजस्थान में संकट से पहले गहलोत ने कहा था कि वह पार्टी अध्यक्ष पद के लिए नामांकन दाखिल करेंगे. हालांकि राज्य के राजनीतिक घटनाक्रम के बाद से ही उनकी इस उम्मीदवारी पर प्रश्नचिन्ह लग गया था. अब उन्होंने सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद साफ कर दिया कि वह चुनाव नहीं लड़ने जा रहे हैं.