जयपुर, 9 जून । भाजपा सांसद डॉ. किरोड़ीलाल मीणा शुक्रवार को ईडी कार्यालय पहुंचे। डॉ. मीणा ने ईडी को वित्तीय गड़बड़ी वाले कुछ दस्तावेज सौंपे हैं, जो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के परिवार से सम्बन्धित हैं। उन्होंने कहा कि अगर मेरे सबूत गलत हैं तो अशोक गहलोत मुझ पर मानहानि का केस करें। मीणा ने अवैध भूमि परिवर्तन, अवैध निर्माण, चरागाह भूमि और सिंचाई विभाग की भूमि पर अतिक्रमण का आरोप लगाते हुए ईडी से जांच की मांग की है।
डॉ. मीणा ने गुरुवार को भाजपा कार्यालय में मीडिया के सामने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पुत्र वैभव गहलोत और पुत्र वधू हिमांशी गहलोत पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। उन्होंने आरोपों से जुड़े कुछ दस्तावेज भी मीडिया के सामने रखते हुए दावा किया कि वैभव गहलोत और बहू हिमांशी गहलोत ने पांच सितारा एवं हैरिटेज होटल व्यवसाय में फेक और डमी कंपनियां बनाकर हजारों करोड़ का अवैध निवेश किया है। उन्होंने प्रदेश के चार बडे़ होटलों उदयपुर के रैफल्स होटल, ताज अरावली होटल, माउंट आबू के निमडी पैलेस और जयपुर के फेयर माउंट होटल में अवैध भूमि रूपांतरण, निर्माण, विदेशी शैल कंपनियों के जरिये मॉरीशस और लंदन का पैसा निवेश करने के आरोप लगाए।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री गहलोत के राजनीतिक संरक्षण में उदयपुर की उदयसागर झील के पेटे की जमीन पर रैफल्स होटल का निर्माण किया गया है। जिसमें कुछ समय पहले करीब आठ हेक्टेयर जमीन को एक आदिवासी से हड़प कर उसमें से करीब दो हेक्टेयर भूमि को अवैध तरीके से रूपातंरित कर निर्माण किया गया है। उक्त अवैध निर्माण को राजस्थान उच्च न्यायालय ने ध्वस्त करने के आदेश भी दिए थे। इसी होटल के लिए वर्ष 2014 में वर्धा एंटरप्राइजेज ने बिना अनुमति सड़क का निर्माण किया था, जिसे 2017 में जलदाय विभाग की जांच में अवैध निर्माण माना गया। इसके बाद 2018 में प्रदेश में गहलोत सरकार बनते ही यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल के संरक्षण में वर्धा कंपनी ने इस होटल में अवैध रूप से 40 कमरों का निर्माण करवाया।
डॉ. किरोड़ी लाल मीणा ने कहा कि गहलोत परिवार की दूसरी संपत्ति होटल ताज अरावली है, जो कि मुंबई निवासी राजीव आनंद और वैभव गहलोत के मालिकाना हक वाला होटल है। उन्होंने कहा कि यह वही होटल है, जिसमें कांग्रेस का चिंतन शिविर आयोजित हुआ था और राज्यसभा चुनाव के समय बाड़ाबंदी की गई थी। इस होटल में वन विभाग और चरागाह भूमि पर अवैध रूप से निर्माण किया हुआ है। नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए पिछोला झील के पेटे में दस करोड़ के सौंदर्यीकरण कार्य कराए गए। इसके अलावा माउंट आबू का निमडी पैलेस जो कि ईको सेंसेटिव जोन में आता है, इसमें गहलोत के नजदीकी बद्री जाखड़ ने राजनीतिक संरक्षण में अवैध रूप से 80 कमरों का निर्माण कराया। इसके अलावा जयपुर के पांच सितारा होटल फेयर माउंट में वैभव गहलोत ने एक शैल और फर्जी कम्पनी सिवनार होल्डिंग्स लिमिटेड के नाम पर 96 करोड़ 75 लाख रुपये मारीशस से बेनामी रूप से निवेश किया गया है। सिवनार होल्डिंग्स लिमिटेड‘‘ एक फर्जी एवं शैल कम्पनी है, जो कि मूल कंपनी ‘‘जेटीसी फिड्सीरी सर्विसेट लिमिटेड‘‘ (पूर्व नाम मिनर्वा फिडयू्शीयरी लिमिटेड) मारीशस के पते पर पंजीकृत है।
मीणा ने कहा कि ट्राइटन होटल एण्ड रिसोर्ट प्रा. लि. कंपनी का फेयर माउंट में पचास प्रतिशत की हिस्सेदारी रतनकान्त शर्मा एवं उनकी पत्नी जूही शर्मा की है। इसके अलावा बेनामी पचास प्रतिशत हिस्सेदारी वैभव गहलोत की ‘सिवनार होल्डिंग्स लिमिटेड‘‘ फर्जी एवं शैल मॉरीशस की कंपनी के नाम से है। जे.टी.सी. कंपनी में प्राइवेट क्लाइंट गहलोत परिवार से हैं, जो काले धन को मॉरीशस की कम्पनी के जरिये काले धन को सफेद करने में लगे हुए हैं। डॉ. मीणा ने कहा कि जे.टी.सी. फिडयूसरी लिमिटेड जिसका (पूर्व में मिनर्वा फिडयूशीयरी लिमिटेड के नाम था ) एक हवाला कम्पनी है एवं पनामा पेपर्स लीक स्कैम में लिप्त है। शिवनार होल्डिंग लिमिटेड ने घाटे में चल रही कंपनी फेयरमाउंट होटल में आधा स्वामित्व भारी प्रीमियम कीमत पर खरीदा है। शिवनार होल्डिंग लिमिटेड ने मूल रूप से कंपनी के 50 प्रतिशत स्वामित्व के लिए भारी धनराशि का निवेश किया था और होटल के वास्तविक बाजार मूल्य को संतुलित करने के लिए शेयरों को कम हिस्सेदारी के लिए एक 100 रुपये के शेयर को 39 हजार रुपये व 2 हजार 200 रुपये प्रीमियम मूल्य पर खरीदा गया। वैभव गहलोत लंबे समय तक होटल फेयरमाउंट में कानूनी सलाहकार रहे हैं एवं फेयरमाउंट में बोगस बिल पास कराए। ऐसे सभी बिलों का भुगतान वैभव गहलोत और उनकी पत्नी हिमांशी गहलोत की कंपनी ‘‘सन लाइट कार रेंटल सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड‘‘ को किया जाता है।
मीणा ने बताया कि होटल फेयर माउंट के अन्य पार्टनर रतनकांत शर्मा गहलोत के कारोबार का प्रबंधन करते हैं और होटल फेयर माउंट जयपुर और रैफल्स उदयपुर होटल के मालिक भी हैं। वैभव गहलोत परिवार की कंपनी सन लाइट कार रेन्टल सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड में वैभव गहलोत के साथ बराबर हिस्सेदारी 50 प्रतिशत के मालिक थे। कुछ समय बाद रतनकान्त शर्मा इस कंपनी से अलग हट गए।