राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने देश में बैन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के नेताओं के 58 ठिकानों पर छापमारी की। ये छापेमारी केरल में कई जगहों पर जारी है. PFI को इस साल सितंबर में गृह मंत्रालय ने पांच सालों के लिए बैन कर दिया था। जानकारी के अनुसार, PFI के कैडरों से संबंध रखने वाले कई संदिग्धों के दफ्तरों में अभी भी सर्च ऑपरेशन चल रहा है.
पीएफआई कैडरों के खिलाफ स्पेशल इनपुट के बाद राज्य पुलिस के सहयोग से गुरुवार तड़के छापेमारी शुरू हुई. जिन लोगों के यहां छापेमारी की गई है वो कई आतंकवादी एक्टिविटी में शामिल होने और कई मर्डर मामलों में शामिल हैं. जैसे- संजीत (केरल, नवंबर 2021), वी-रामलिंगम (तमिलनाडु 2019), नंदू (केरल, 2021), अभिमन्यु (केरल, 2018), बीबिन (केरल, 2017), शरथ (कामाटक, 2017), आर. कुमार (तमिलनाडु, 2016).
होम मिनिस्ट्री ने कहा था कि पीएफआई कैडरों के ज़रिए शांति को भंग करने और जनता के मन में आतंक का शासन बनाने के मकसद से आपराधिक गतिविधियों और हत्याओं को अंजाम दिया गया है. MHA ने यह भी बताया कि पीएफाई के वैश्विक आतंकवादी ग्रुपों के साथ भी रिश्ते हैं और संगठन के कुछ कार्यकर्ता इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया (ISIS) में शामिल हो गए हैं. साथ ही सीरिया, इराक और अफगानिस्तान में आतंकी गतिविधियों में हिस्सा लिया है.
बता दें कि PFI का गठन साल 2006 में केरल में हुआ था, जिसने साल 2009 में एक राजनीतिक मोर्चा सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया भी बनाया था. केरल में स्थापित कट्टरपंथी संगठन ने धीरे-धीरे पूरे देश के अलग-अलग हिस्सों में अपना डेरा डाला. प्रतिबंध के बाद PFI सदस्यों द्वारा हड़ताल की गई, जिसके परिणामस्वरूप राज्य भर में व्यापक हिंसा हुई, जिसके बाद केरल उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह मामले में अधिकारियों और आरोपियों से सार्वजनिक संपत्ति को हुए नुकसान की भरपाई करें.