मनराज प्रतिष्ठान द्वारा दायर याचिका कुर्ला शमशान भूमि पुनर्निर्माण मामले पर आज दिनांक 26/11/2020 को माननीय बॉम्बे उच्च न्यायालय द्वारा संज्ञान लिया गया।माननीय न्यायालय ने सभी संसाधनों के होने के बावजूद 2017 से मुंबई महानगर पालिका द्वारा लेटलतीफी करने पर मामले को देखते हुए, सम्माननीय न्यायालय ने गंभीर खामियों पर ध्यान दिया और मुंबई मनपा को कुर्ला शमशान भूमि के पुनर्निर्माण में देरी के कारणों को बताते हुए एक हलफनामा दायर करने को कहा, और अगले बुधवार दिनांक 02/12/2020 को सुनवाई रखी है।
बता दे की, कुर्ला पश्चिम हिंदू शमशान भूमि की जर्जर स्थिति को लेकर मुंबई महानगरपालिका के खिलाफ मनराज प्रतिष्ठान ने बांबे हाईकोर्ट में एक रिट याचिका दायर की। मनराज प्रतिष्ठान ने याचिका में श्मशान भूमि की विविध समस्याओं का उल्लेख किया है। मनपा की लापरवाही के खिलाफ यह याचिका दायर की गई है। श्मशान भूमि जर्जर अवस्था में बीएमसी में बार-बार शिकायत करने के बावजूद भी इस पर ध्यान नहीं दे रही है। यहां के नागरिकों में बस एक ही सवाल है कि जल्द से जल्द यह श्मसान भूमि का नए तरह से बने। मनराज प्रतिष्ठान के न्यासी मनोज नाथानी ने बताया कि लोगों की मांग को देखते हुए ही हमने बांबे हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करने का फैसला किया। मनपा की उदासीनता के चलते क्या मुर्दा, क्या जिंदा सभी परेशान हैं। अंतिम संस्कार के लिए यह श्मशान भूमि खुद ही जर्जर अवस्था में पड़ा है। कुर्ला के नागरिकों के लिए श्मशान भूमि एक बड़ी समस्या है। यहां हर धर्म हर समुदाय के लोग रहते है। श्मशान व दफन भूमि की व्यवस्था सही कराई जाए।
कुर्ला के नागरिकों में निराशाकुर्ला पश्चिम सोनापुर हिंदू शमशान भूमि की हालत बेहद खराब है पानी की सुविधा नहीं है। कुर्ला के नागरिक गण जब अंतिम संस्कार करने के बाद जब वहां पानी ढूंढते हैं तो नलों में पीने का पानी नहीं रहता है। अत्यंत घनी आबादी वाला क्षेत्र कुर्ला के एकमात्र हिंदू श्मशान भूमि में इस तरह की भयंकर समस्या होने से कुर्ला के नागरिकों में बेहद निराशा है। श्मशान भूमि का इतना बुरा हाल है कि मुर्दो को सुखद अंतिम श्मशान भी नसीब नहीं है। इस मसले को लेकर मनपा प्रशासन तक गुहार लगाई जा चुकी है, लेकिन सुनने वाला कोई नहीं है।
इस समस्या का आज तक कोई समाधान नहीं हो पाया है। शमशान भूमि की बार-बार हो रही उपेक्षा एअरपोर्ट की दीवार से सटे इस श्मशान भूमि की हालत अत्यंत दयनीय हो गयी है। व्यवस्थाओं के अभाव में यहां असामाजिक तत्वों का जमावड़ा लगता है, कुत्ते बच्चों की कब्रें खोद डालते हैं, शव दफनाने अथवा जलाने आने वाले लोगों को सुविधाओं की कमी के चलते अनेक दिक्क्तों का सामना करना पड़ता है, टूटे फूटे परिसर शेड के नीचे बै’ना भी दुर्घटनाओं को आमंत्रण देता है। तीन विधानसभाओं की सीमा पर स्थित होने के चलते इसकी बार-बार उपेक्षा हो रही है। इसलिए इसका जीर्णोद्धार अवश्य किया जाना चाहिए। मनोज नाथानी ने बताया कि जब तक शमशान भूमि नया नहीं बन जाता हमारी मांग जारी रहेगी।