मरे और परे का ‘आमदनी अठन्नी खर्चा रुपैया’
52 करोड़ की कमाई, 1000 करोड़ का घाटा
कोरोना काल का आठ महीना, रेलवे का छूटा पसीना
मुंबई। वैश्विक महामारी कोविड ने आम आदमियों की कमर तो तोड़ी ही है साथ ही सरकारी विभागों के खजाने पर भी गहरी चोट की है। पश्चिम और मध्य रेलवे की लोकल ट्रेनों के परिचालन पर रेलवे को कोरोना के चलते लगाए गए लॉकडाउन के कारण यात्री राजस्व पर 1,020 करोड़ रुपये खर्च करने पड़े हैं। पिछले आठ महीने में रेलवे प्रशासन को इन दोनों विभागों से खजाने में केवल 52 करोड़ रुपये जमा हुए हैं।
मध्य रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी शिवाजी सुतार के अनुसार कोरोना के कारण मध्य और पश्चिम रेलवे पर उपनगरीय ट्रेन सेवाओं को 22 मार्च से निलंबित कर दिया गया है। प्रारंभ में केवल रेलवे कर्मचारियों के लिए ही लोकल चल रही थी, उसके बाद आवश्यक सेवा कर्मियों के लिए यात्रा की अनुमति दी गई थी। अब तो विभिन्न श्रेणियों के कर्मचारियों और सभी महिलाओं को लोकल में यात्रा करने की अनुमति दी गयी है।
हालांकि अभी तक आम जनता के लिए लोकल में प्रवेश वर्जित है। परिणामस्वरूप मध्य और पश्चिम रेलवे को उपनगरीय मार्गों पर सेवाएं प्रदान करने में भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। यह घाटा अब 1,000 करोड़ रुपये को पार कर गया है। उल्लेखनीय है कि हर साल अप्रैल से नवंबर तक मध्य रेलवे लोकल सेवाओं से लगभग 502 करोड़ रुपये कमाता है। इस साल अब तक इसने केवल 22 करोड़ रुपये कमाए हैं और 480 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा।
सेंट्रल रेलवे के सीएसएमटी से कर्जत, खोपोली, हार्बर और ट्रांस हार्बर तक 90 फीसदी से अधिक लोकल ट्रेनें शुरू हो चुकी हैं। लेकिन यात्रियों की संख्या केवल 6 लाख है। पश्चिम रेलवे ने भी पिछले आठ महीनों में 30.65 करोड़ रुपये की कमाई की है। जबकि दूसरी ओर 540 करोड़ 9 लाख रुपये की आय पर पानी पड़ा है। इस समय 6 लाख 42 हजार 501 यात्री पश्चिमी रेलवे लाइन पर यात्रा कर रहे हैं और वर्तमान में 90 प्रतिशत से अधिक लोकल ट्रेनें चल रही हैं।
वर्तमान में मध्य और पश्चिम रेलवे में प्रतिदिन 2781 लोकल ट्रेनें चल रही है।इसमें मध्य रेलवे पर 1580 और पश्चिमी रेलवे पर 1201 फेरे शामिल हैं। इन दोनों मार्गों पर प्रतिदिन कुल 80 लाख यात्री यात्रा करते थे लेकिन अब यह संख्या लगभग 12 लाख है।
एक्शन मोड में ‘तेजस्विनी’ दस्ता
मध्य रेलवे की ‘तेजस्विनी’ महिला टिकट निरीक्षकों ने बिना टिकट यात्रा करने वाली 5,000 से अधिक महिला यात्रियों के खिलाफ कार्रवाई की है। सितंबर से नवंबर तक तेजस्विनी दस्ते ने 5,119 बिना टिकट यात्रियों को पकड़ा और उनसे 13.19 लाख रुपये का जुर्माना वसूला है। गौरतलब हो कि अगस्त 2001 में ‘तेजस्विनी’ टिकट निरीक्षण दल की स्थापना की गई थी।
टीम ने मध्य रेलवे उपनगरीय स्टेशन और महिलाओं के कोचों में अनजान यात्रियों और कमियों को खोजने का काम किया है। वित्त वर्ष 2018-19 की तुलना में 2019-20 में तेजस्विनी स्क्वाड का प्रदर्शन 24.69 प्रतिशत बढ़ गया। इस दस्ते से रेलवे की तिजोरो को लगभग 3 करोड़ 43 लाख रुपये प्राप्त हुए हैं। पिछले साल 1 लाख 17 हजार बिना टिकट के मामलों की तुलना में इस साल 1 लाख 24 हजार मामले दर्ज किए गए।