सरहदी गांधी के वसूलों और कामों को याद किया : वे आज़ादी के लड़ाई के काम और विचार दोनों से महानायक
शनिवार, ६ फरवरी को सरहदी गांधी खान अब्दुल गफ्फार खान के जन्मदिन पर आयोजित स्मृति सभा में आज़ादी की लड़ाई के इस अप्रतिम नायक को बहुत अंतरंगता से याद किया गया, और लोगों से अपील की गयी कि हमें उन मुकामों, पड़ावों और तरीकों को याद करना चाहिए, जिनके जरिये हमने गुलामी भगायी, आज़ादी हासिल की और देश की तरक्की का रास्ता बनाया। उन तौर-तरीकों और एकजुटता को हम फिर अपनाएं तो यकीनन हम दुनिया की एक बड़ी धरोहर बने रहेंगे।
सभा के मुख्य वक्ता श्री राजमोहन गाँधी ने अपने वर्चुअल सम्बोधन में गाँधी जी और सरहदी गांधी के संबंधों को याद करते हुए कहा कि सरहदी गांधी भारत विभाजन के लिए किसी सूरत में तैयार नहीं थे, उसी चेतना को उन्होंने विभाजन के बाद पख्तूनों के अलग राज्य की आवाज में बदल दिया। १९७० में वे भारत आये तो बा-बार इस बात का जिक्र करते रहे कि आप लोगों ने हमें भेड़ियों के हवाले कर दिया।
सभा के अध्यक्ष श्री हुसैन दलवई ने कहा कि पख्तून एवं के बीच सरहदी गांधी ने अहिंसा का व्रत इस तरह फैलाया था कि १९३० में पेशावर के किस्सा ख्वानी बाजार में हुए भीषण नरसंहार के बावजूद किसी भी पख्तून ने हथियार ने उठाये। पूरी दुनिया पख्तूनों के इस संयम को देख कर हैरान थी।
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पूर्व मंत्री श्री चंद्रकांत त्रिपाठी ने कहा कि समाज में साम्प्रदायिकता और एकतरफा विचार बढ़ रहे हैं। करो या मरो के बदले करो या मारो का नारा नहीं हो सकता।
महाराष्ट्र के काबीना मंत्री श्री मलिक नवाब ने सभा को याद दिलाया कि फरीदाबाद के सिविल अस्पताल से बादशाह खान का नाम हटा दिया गया है। उन्होंने कहा कि ऐसा करना आज़ादी की लड़ाई और साझा समाज के वसूलों के खिलाफ है। उन्होंने हरियाणा सर्कार से अपील की कि इस अस्पताल का नाम सरहदी गांधी के नाम पर वापस बहाल किया जाए।
सभा में श्री सुधीन्द्र कुलकर्णी, श्री जतिन देसाई, श्री फिरोज मीठीबोरवाला, श्री उदित राज , मौलाना जहीर अब्बास रिज़वी और श्री बद्रे आलम ने भी अपने विचार रखे। सभा का संचालन सरहदी गांधी मेमोरियल सोसाइटी के अध्यक्ष श्री सय्यद जलालुद्दीन ने और कार्यक्रम का व्यवस्थापन श्री आफताब अलवी और श्री सलीम माप खान ने किया। पत्रकार ओम प्रकाश ने आभार प्रदर्शन किया।
कार्यक्रम की शुरुआत श्रीमती महिया खान द्वारा सरहदी गांधी पर बनाये एक वृत्तचित्र के प्रदर्शन और श्री मुजीब खान द्वारा निर्देशित औरa अभिनीत एक नाटक के मंचन से हुई। ये दोनों कार्यक्रम सदैव के लिए यादगार बन गए हैं।