सोशल मीडिया के प्रभाव से शायद ही किसी को इनकार हो। इसी सोशल मीडिया पर राजनेताओं की बहस, धर्मांधों की अनर्गल बातें, एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप की लंबी दास्तानें मौजूद हैं। लेकिन कुछ लोग हैं जो इस माध्यम का उपयोग सामाजिक गतिविधियों के लिए भी करते हैं। इसी प्लेटफॉर्म के सहारे अपने रिहायशी इलाके को आदर्श इलाका बनाने का प्रण लेते हैं। मुंबई में ऐसे कई व्हाट्सएप ग्रुप एक्टिव हैं जो सामाजिकता को समर्पित हैं।
अंधेरी पूर्व के ऐसे ही एक ग्रुप ने एक सपना देखा है अपने इलाके को आदर्श बनाने का और नाम दिया है, ‘ड्रीम मरोल’, जिसमें विभाग के कई बुद्धिजीवी और समाजसेवी शामिल हैं। देखते ही देखते उसकी 7 शाखाएं भी बन गई हैं जिन्हें जोनल आधार पर बांटा गया है। उन्हें इंद्रधनुषीय रंग देकर सतरंगी बनाया गया है। Violet, Indigo, Blue, Green, Yellow, Orange और Red (बैंगनी, गहरा नीला, नीला, हरा, पीला, नारंगी, लाल) रंगों में बंटे ये ग्रुप ‘ड्रीम मरोल’ के मातहत अपने-अपने इलाके में सक्रिय भी हो गए हैं। ‘ड्रीम मरोल’ की संकल्पना में जागरूक नागरिकों की भूमिका तय है।
जिन्हें स्वच्छ सड़कें, बेहतर जल निकासी व्यवस्था, पैदल चलने वालों के लिए फुटपाथ, विनियमित बाजार, अनुशासित यातायात, स्वच्छ सार्वजनिक शौचालय, व्यापक सीसीटीवी कवरेज, सार्वजनिक पार्किंग स्थान, योग्य कचरा निपटान, कम से कम प्लास्टिक का प्रयोग, साफ-सुथरी पेंट की हुई सड़कें और मोहल्ला, फुटपाथ और रेलिंग पर गमले में पौधे जैसी सुविधाओं की जरूरत महसूस हो रही हो वह ‘ड्रीम मरोल’ का हिस्सा बन सकते हैं।
‘ड्रीम मरोल’ ने तय किया है कि आने वाले दिनों में प्रशासन के सहयोग से एक बहु उपयोगी मनोरंजन क्षेत्र का निर्माण किया जाएगा। इसमें आम जनता के लिए नि: शुल्क चिल्ड्रन पार्क, वरिष्ठ नागरिक क्षेत्र, वॉकिंग ट्रैक, ओपन एयर जिम, ओपन एयर योग केंद्र के लिए विशेष क्षेत्र, एथलेटिक्स ट्रैक, इनडोर और आउटडोर सुविधाओं के साथ कॉर्पोरेट प्रशिक्षण के लिए अलग क्षेत्र, विभिन्न गतिविधियों के लिए मिठी नदी फ्रंट का उपयोग जैसी अनेक योजनाओं को शामिल किया जाएगा जिसका खाका भी तैयार कर लिया गया है।
सबसे बड़ी बात इस समूह में राजनैतिक प्रतिद्वंद्विता टालने की नीयत से अभी तक पूरी तरह से समर्पित किसी भी दल के नेताओं को शामिल नहीं किया गया है। हाँ, लगभग सभी पार्टी के जमीनी कार्यकर्ता बैठकों में जरूर आ भी रहे हैं, जिम्मेदारियां भी ले रहे हैं और बेहतर तरीके से निभाने की कोशिश भी कर रहे हैं। वह खुद मानते हैं की ‘ड्रीम मरोल’ का राजनीतिक उपयोग न होने पाए। पूरी तरह से विशुद्ध गैर राजनीतिक यह समूह अब तक अपनी अनेकता में एकता की भावना को प्रदर्शित करते हुए मंदिर, मस्जिद, विद्यालय, कोऑपरेटिव सोसाइटीज, सार्वजनिक गार्डन जैसे स्थानों पर कई साप्ताहिक बैठकें कर चुका है। इसमें सभी वर्ग का समर्थन भी मिल रहा है। जनप्रतिनिधियों, पुलिस व मुंबई महानगरपालिका के अधिकारियों सहित अनेक शैक्षणिक संस्थानों से भेंट का सिलसिला भी साथ-साथ जारी है ताकि सभी का यथोचित सहयोग मिल सके।
‘ड्रीम मरोल’ की इस पहल का अनुसरण कर कई इलाकों को आदर्श क्षेत्र बनाया जा सकता है। यह तभी संभव है जब प्रशासन इन समर्पित नागरिकों की मदद करने का निर्णय लेकर उनके सपनों को साकार करने का दृढ़ संकल्प ले सके। समूह के महत्वपूर्ण सदस्य और प्रस्तावक सुरेश नायर कहते हैं, “Where there is a will, there is a way.” (जहां चाह है, वहां राह है।)