ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने भारत बायोटेक की नेज़ल वैक्सीन (Nasal Vaccine) को ट्रायल की मंजूरी दे दी है. इस वैक्सीन का इस्तेमाल बूस्टर डोज़ के तौर पर किया जाएगा. नाक से दी जाने वाली इस कोरोना वैक्सीन का परीक्षण देश में नौ जगह किया जाएगा. रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रायल में 900 लोग शामिल होंगे.
भारत बायोटेक ने स्वदेशी वैक्सीन कोवाक्सिन का निर्माण कर देश में इस महामारी के खिलाफ जंग में बड़ी कामयाबी हासिल की है. कंपनी अब बूस्टर खुराक के लिए नाक से दी जाने वाली वैक्सीन बना रही है.
कंपनी ने करीब 3 हफ्ते पहले DCGI की सबजेक्ट एक्सपर्ट कमेटी को ट्रायल के लिए डेटा भेजा था. कहा जा रहा है कि नाक के जरिए दी जाने वाली इस वैक्सीन से ओमिक्रॉन के खिलाफ बचाव में लोगों को मदद मिलेगी. ये बूस्टर डोज उन्हें दिया जाएगा जिन्होंने पहले कोविशील्ड या फिर कोवैक्सीन की वैक्सीन ले रखी है. बता दें कि भारत में इसी महीने से फ्रंटलाइन में काम करने वाले लोगों को कोरोना वैक्सीन की तीसरी डोज़ दी जा रही है.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार भारत बायोटेक ने अपनी नैजल वैक्सीन BBV154 को पहले से टीका ले चुके लोगों को बूस्टर डोज के तौर पर उपयोग करने का प्रस्ताव दिया है. भारत बायोटेक ने पहले घोषणा की थी कि उसके द्वारा निर्मित यह नैजल वैक्सीन बच्चों के लिए सुरक्षित, सहन करने योग्य है. वैज्ञानिकों का कहना है कि इंट्रानैजल वैक्सीन नाक व फेफड़ों में मजबूत प्रतिरक्षा तंत्र का निर्माण करेगी. इससे वायरस संक्रमण के खिलाफ सुरक्षा में मदद मिलेगी.
नेज़ल वैक्सीन के फायदे
कहा जा रहा है कि नेज़ल वैक्सीन आम वैक्सीन के मुकाबले काफी असरदार है. डॉक्टरों के मुताबिक वैक्सीन जब नाक से दी जाएगी, तो सबसे पहले नाक में एंटीबॉडीज (Antibodies) बनेंगी. इससे वायरस का सांस के जरिए फेफड़ों तक पहुंचना मुश्किल हो जाएगा. नतीजा यह होगा कि वायरस नेजल वैक्सीन लेने वालों के फेफड़ों तक नहीं पहुंच पाएगा.