गणपति महोत्सव की शुरुआत 10 सितंबर से हो रही है. इस पर्व को देशभर में बड़े ही धूम- धाम से मनाया जाता है. गणपित महोत्सव के दौरान जगह- जगह पर गणपित महाराज की प्रतिमाओं की स्थापना की जाती है. गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) पर विघ्न विनाशक गणेश जी का पूजन करने से मन की हर इच्छा पूरी होती है.
पंचांग के अनुसार 10 सितंबर 2021, शुक्रवार को भाद्रपद यानि भादो मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि है. इस तिथि को ही गणेश चतुर्थी कहा जाता है. गणेश चतुर्थी का पर्व भगवान गणेश को समर्पित है. इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती के प्रिय पुत्र की विशेष पूजा की जाती है.
अगले वर्ष फिर आने की कामना के साथ 10 दिन बाद यानि अनंत चतुर्दशी पर गणेश विसर्जन करने की पंरपरा है. गणेश चतुर्थी का पर्व तीन चरणों में मनाया जाता है, पहला चरण में गणेश जी का आगमन होता है यानि गणेश जी को घर पर लाया जाता है, इसके बाद भगवान गणेश जी की स्थापना की जाती है. गणेश जी की स्थापना विधि पूर्वक करनी चाहिए और दस दिनों तक विशेष पूजा-अर्चना करनी चाहिए. तीसरे चरण में गणेश जी का विसर्जन किया जाता है.
पूजा व स्थापना विधि
सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद अपनी इच्छा के अनुसार सोने, चांदी, तांबे, पीतल या मिट्टी से बनी भगवान श्रीगणेश की प्रतिमा स्थापित करें (शास्त्रों में मिट्टी से बनी गणेश प्रतिमा की स्थापना को ही श्रेष्ठ माना है).
संकल्प मंत्र के बाद षोडशोपचार पूजन व आरती करें. गणेशजी की मूर्ति पर सिंदूर चढ़ाएं. मंत्र बोलते हुए 21 दूर्वा दल चढ़ाएं. 21 लड्डुओं का भोग लगाएं. इनमें से 5 लड्डू मूर्ति के पास रखें और 5 ब्राह्मण को दान कर दें. शेष लड्डू प्रसाद रूप में बांट दें. ब्राह्मणों को भोजन कराएं और उन्हें दक्षिणा देने के बाद शाम के समय स्वयं भोजन करें. पूजन के समय यह मंत्र बोलें – ऊं गं गणपतये नम:
गणेश जी को मोदक बेहद पसंद हैं. इसलिए गणेश जी के जन्मोत्सव पर उनके सबसे प्रिय मोदक का भोग लगते हैं. वहीं गणेश जी को मोतीचूर के लड्डू भी बहुत प्रिय हैं. इसके अलावा गणेश जी को बेसन के लड्डू का भी भोग लगा सकते हैं. वहीं गणेश जी की पूजा के बाद खीर अवश्य चढ़ानी चाहिए. इसके अलावा केला, नारियल, मखाने की खीर और पीले रंग की मिठाई भी गणेश जी के भोग में शामिल कर सकते हैं.
गणेश स्थापना के शुभ मुहूर्त
सुबह 9 से 10:30 तक – अमृत
दोपहर 12:00 से 1:30 तक – शुभ
दोपहर 11.02 से 01.32 तक (विशेष शुभ मुहूर्त)
दूर्वा दल चढ़ाने का मंत्र
गणेशजी को 21 दूर्वा दल चढ़ाई जाती है. दूर्वा दल चढ़ाते समय नीचे लिखे मंत्रों का जाप करें-
ऊं गणाधिपतयै नम:
ऊं उमापुत्राय नम:
ऊं विघ्ननाशनाय नम:
ऊं विनायकाय नम:
ऊं ईशपुत्राय नम:
ऊं सर्वसिद्धप्रदाय नम:
ऊं एकदन्ताय नम:
ऊं इभवक्त्राय नम:
ऊं मूषकवाहनाय नम:
ऊं कुमारगुरवे नम: