पुरातत्व विभाग के पास 375 ऐतिहासिक धरोहर
मुंबई-हजारों वर्षों के अनेक गौरवशाली इतिहास को अपने साथ संजोए हुए प्राचीन इमारतों का संरक्षण और संवर्धन मुश्किल होता जा रहा है. राज्य पुरातत्व विभाग के आधिपत्य में अनेक शहरों की 375 प्राचीन ऐतिहासिक इमारतें हैं. इसमें प्राचीन मंदिरों, किलों, गुफाओं और संग्रहालयों जैसे विरासत वाले स्थलों का समावेश है. इनके संरक्षण और संवर्धन की जिम्मेदारी पुरातत्व विभाग की है. लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते धन की कमी उत्पन्न होने से विभाग का काम प्रभावित हुआ है।
आउटसोर्स (बाह्यस्रोत) के जरिये विभाग के लिए भर्ती किए जाने वाले 80 कर्मचारियों की भर्ती चार महीने से रुकी हुई है. वास्तुओं के संरक्षण के लिए सरकार निधि उपलब्ध नहीं करा पा रही है जिससे अनेक कार्य बाधित हो रहे हैं। राज्य के पुरातत्व और संग्रहालय निदेशालय में कई पद कई वर्षों से खाली पड़े हैं। ये सभी पद बाहरी स्रोतों से भरे जाते हैं। सूत्रों के अनुसार इस संबंध में मई 20 में एक प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा गया था, लेकिन अभी तक कोई जवाब नहीं आया है। निदेशालय के पास वर्तमान में 375 विरासत स्थलों के संरक्षण की जिम्मेदारी है। कुल लगने वाले 300 कर्मचारियों में से 125 पद खाली पड़े हैं जिसके चलते कार्य प्रभावित हो रहा है. रिक्तियों में से 30 प्रतिशत कमी की गयी है जिसे बाहरी स्रोतों से भरा जाना है। इसके चलते इस जिम्मेदारी को छोटे कर्मचारी को ही संभालना पड़ रहा है। कोरोना के कारण कर्मचारियों की भर्ती नहीं होने के कारण कई धरोहर भवनों की हालत खराब होने की संभावना है. हेरिटेज इमारतों की सूची अकसर बढ़ जाती है फिर भी कर्मचारियों की संख्या में वृद्धि नहीं की जाती है।
पुरातत्व विभाग को संरक्षण कार्य के लिए अकसर कम धन दिया जाता है। विभाग द्वारा सरकार के पास 100 से 125 करोड़ रुपये का प्रस्ताव सरकार को भेजा जाता है लेकिन हर साल 22 से 25 करोड़ रुपये ही स्वीकृत किए जाते हैं। इस साल (2020-21) में पहली बार सबसे ज्यादा 40 करोड़ रुपये मंजूर किए गए थे. लेकिन आधे साल बाद भी उसमें से केवल 7 करोड़ रुपये मिले हैं। संरक्षण कार्य गांवों में स्थानीय स्तर पर अस्थायी रोजगार प्रदान करता था लेकिन वह भी बंद कर दिया गया है। कई इतिहासकारों का मानना है कि सरकार पुरातत्व विभाग को एक अनुत्पादक विभाग के रूप में देखती है इसलिए उसकी उपेक्षा करती है। राज्य के सांस्कृतिक मंत्री अमित देशमुख ने कहा कि निधि के अभाव में भर्ती प्रक्रिया और संरक्षण कार्य में देरी हो रही है. जैसे ही आर्थिक प्रक्रिया गति पकड़ेगी निधि उपलब्ध करा दी जाएगी। इस समय अत्यावश्यक काम को प्राथमिकता दी जा रही है। केंद्र सरकार से जीएसटी फंड भी नहीं मिला है। इसलिए कई योजनाएं प्रभावित हो रही हैं.
कर्मचारियों की कमी से काम प्रभावित
आज भी राज्य के पांच संग्रहालयों में कई पद रिक्त पड़े हैं। रिक्तियों में संरक्षक, इंजीनियर और विरासत भवनों के संरक्षक शामिल हैं।संग्रहालय के संरक्षकों की कमी, पुरावशेषों के रखरखाव को प्रभावित कर रही है. विरासत स्थलों पर सुरक्षा रक्षकों की कमी होने उनकी सुरक्षा पर सवाल उठ रहे हैं।