ठाणे-केंद्र की भाजपा सरकारने जो 3 कृषि कानून ( खेती का कंत्राटी करण/ अत्यावश्यक सेवा कानून मे बदलाव / कृषि मंडी कानून कमजोर करना… इ ) लोकसभा और राज्यसभा मे ध्वनी मत से पारित किये है, और अंतिम हस्ताक्षर के लिए माननीय राष्ट्रपति के पास भेजे गये है। इस कानून के कारण देश का 95% किसान संकट मे आ सकता है। हमारे देश मे लगभग 85% किसान के पास 5 एकड से भी कम खेती की जमीन है। इस कानून से यह जमीन छिने जाने का डर है। इस कानून के तहत कृषि मंडी तो रहेगी, मगर मंडी के बाहर बिना रोक टोक कृषि उपज खरिद और बिक्री हो सकेगी । इससे किसान और अधिक परेशान होंगे, क्योंकि किसान को उपज का भाव नही मिलेगा। सरकारी एम एस पी घोषित होगी, लेकिन उसे मानने का बंधन व्यापारी पर नही होगा। कानून मे इसकी कोई व्यवस्था नही है।
इस कानून में कृषि उपज का चाहे उतना स्टॉक करने कि अनुमती देता है। यह भी बडे पुंजीपतीके हित की बात होगी। जिससे किसान के फसल के दाम गिराए जाएंगे और सामान्य ग्राहक को दाम बढाकर यह अनाज मिलेगा। जिससे जो किसान नही है उसे महंगाई का सामना करना पडेगा। इन सभी कारणों को दर्शाते हुए स्वराज अभियान, श्रमिक जनता संघ, जन आंदोलनोंका राष्ट्रीय समन्वय, आयटक, शासकीय कर्मचारी कृती समिती आदि विभिन्न सामाजिक व कामगार संगठनों द्वारा देश के महामहिम राष्ट्रपति श्री कोविद को पत्र लिखकर इस किसान विरोधी विधेयक को मंजूर नहीं करने की एक संयुक्त आवेदन द्वारा अपील की है।
स्वराज अभियान के सुब्रतो, श्रमिक जनता संघ के जगदीश खैरालिया, आयटक के लिलेश्वर बनसोड़, जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय के अजय भोसले और शासकीय कर्मचारी कृती समिती के गव्हाळे आदि ने किसान विरोधी विधेयक पर हस्ताक्षर ना करके विधेयक संसद में चर्चा करने तथा सिलेक्ट कमिटी के पास वापिस लौटाने की मांग की है।
ये तीनो कानून पारित होते ही प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी लगातार यह कह रहे है कि, कृषि मंडी और कृषि उपज का लागत मूल्य / हमी भाव ( MSP) बरकरार रहेगी। सरकारने कुछ बढाई भी है। मगर बार बार पुछने पर कि, MSP को कानूनी हिस्सा क्यों नही बनाया..?? उसपर उन्होने जो चुप्पी साधी है, उससे उनका झूठ स्पष्ट हो गया है।देश मे कोई भी कानून बनने की प्रक्रिया शुरु होती है तो, उसपर पुरे देश मे चर्चा होती है, होनी ही चाहिए। मगर बहुत ही आश्चर्य कि बात है कि, ये तीनो कानून सांसदो कि संख्या बल पर बिना चर्चा / बहस के पारित किये गयेहैं। इस प्रकार लोकतंत्र और लोकतांत्रिक मूल्योको समाप्त करने की बहुत बडी साजिश है.। देश का लोकतंत्र और संवैधानिक मूल्यों की रक्षा हेतु इस बिल को आपको रोकना चाहिए ।आज पुरे देश का किसान आंदोलित है, 25 सप्टेंबर को देश का किसान रास्ते पर आकर आपसे न्याय कि मांग कर रहा है.। स्वातंत्र्य आंदोलन के मूल्यो को ध्यान मे रखते हुये, विभिन्न संगठनों के द्वारा न्याय की मांग की गई है ।
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