150 विजेताओं का पंजीकरण, 50 निकले पात्र , आईसीएमआर का देशव्यापी परीक्षण अभियान
मुंबई- कोरोना के कहर से जूझ रहे लोगों के लिए केंद्र और राज्य सरकार अनेक उपायों पर काम कर रही है. इसी कड़ी में तपेदिक से बचाव के लिए नवजात शिशुओं में लगाए जाने वाले बीसीजी के टीके पर विशेष रिसर्च किया जा रहा है. दक्षिण मुंबई के वर्ली, प्रभादेवी, परेल, लालबाग आदि क्षेत्रों में कोरोना को हराकर विजेता बनने वाले वरिष्ठ नागरिकों पर इसका परीक्षण किया जायेगा। सरकार के इस बीसीजी वैक्सीन परीक्षण जांच अभियान में 150 से अधिक वरिष्ठ नागरिकों ने पंजीकरण किया है. लेकिन इनमें से एक तिहाई बुजुर्ग ही वैक्सीन परीक्षण के लिए पात्र पाए गए हैं।
वैश्विक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया भर में 60 वर्ष से अधिक आयु के लोगों में कोरोना का सबसे अधिक खतरा होता है। इस आयु वर्ग में बीमारी के गंभीर लक्षण के साथ मृत्यु दर भी अधिक पायी गयी है। क्या बीसीजी वैक्सीन, जो नवजात शिशुओं को तपेदिक से बचाव के लिए दिया जाता है, कोरोना संक्रमण को रोकने में कारगर होगा ? इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) द्वारा इसकी संभावना का पता लगाने के लिए वरिष्ठ नागरिकों पर चेन्नई, मुंबई, अहमदाबाद, भोपाल, जोधपुर और नई दिल्ली में परीक्षण किया जा रहा है। मुंबई में मनपा और केईएम अस्पताल के तत्वावधान में परीक्षण अगस्त से ही शुरू किया गया है. मनपा के उप कार्यकारी चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर दक्षा शाह ने बताया कि इस परीक्षण में कोई भी दुष्प्रभाव नहीं होता। वरिष्ठ नागरिकों का पंजीकरण के बाद एंटीबॉडी और एक्स-रे टेस्ट किया जाता है। कोरोना के शुरुआत में मनपा के जी-साउथ और एफ-साउथ विभाग में सबसे मामले सामने आये थे. इसमें 60 से अधिक आयु के लोगों में संक्रमण हुआ था. मनपा के डाक्टरों के अनुसार पंजीकरण अभी भी जारी है. सेरो सर्वेक्षण के दूसरे चरण में पाया गया कि एफ-साऊथ कि 48 प्रतिशत पीड़ित बुजुर्ग झोपड़पट्टी क्षेत्रों से तो पॉश एरिया से 13 प्रतिशत बजुर्ग कोरोना पॉजिटिव हुए थे. इस टीके के बाद छाला होता है।
जब यह फट जाता है तो एक चंद्राकार का दाग होता है. इस प्रक्रिया में पांच से छह सप्ताह लगते हैं। तीन महीने के बाद इन नागरिकों का फिर से परीक्षण किया जाएगा। जिसके तहत 6 महीने बाद फिर से कोरोना और एक्स-रे परीक्षण किए जाएंगे। यह अध्ययन मुंबई में 250 लोगों पर किया जाएगा, लेकिन देश भर में 1400 लोगों पर यह परीक्षण किया जायेगा।चार महीने के दौरान देश भर में 60 और 75 वर्ष की उम्र के बीच 1,400 वरिष्ठ नागरिकों को टीका लगाया जाएगा। इसमें कोरोना, एचआईवी संक्रमित और कैंसर रोगियों को बाहर रखा गया है।