यूपी चुनाव से ठीक पहले अखिलेश यादव को बड़ा झटका देते हुए समाजवादी पार्टी (सपा) के संस्थापक मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा यादव (Aparna Yadav) भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुईं। इस दौरान उप मुख्यमंत्री केशव मौर्य मौजूद रहें। उनके बीजेपी में शामिल होने की खबरें बीते कई दिनों से चल रही थीं।
भाजपा का दामन थामने के बाद अपर्णा यादव ने कहा कि मैं प्रधानमंत्री मोदी जी का और राष्ट्रीय अध्यक्ष जी का धन्यवाद करती हूं. उत्तर प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह, उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और अनिल बलूनी जी का धन्यवाद करती हूं. मैं प्रधानमंत्री जी से पहले से ही प्रभावित रहती थी, मेरे लिए सर्वप्रथम राष्ट्र है. अब मैं राष्ट्र की अराधना के लिए निकली हूं. आपका सहयोग अनिवार्य है. यही कहूंगी कि जो भी कर सकूंगी अपनी क्षमता से करूंगी.
अपर्णा यादव समाजवादी पार्टी में रहते हुए भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सार्वजनिक तौर पर तारीफ करती नजर आती रही हैं. मूल रूप से उत्तराखंड की रहने वाली अपर्णा कई बार योगी आदित्यनाथ के साथ भी नजर आई हैं. ऐसे खबरें हैं कि बीजेपी उन्हें लखनऊ कैंट विधानसभा सीट से उम्मीदवार बना सकती है.
अपर्णा, मुलायम सिंह के छोटे बेटे और अखिलेश यादव के सौतेले भाई प्रतीक यादव की पत्नी हैं. अपर्णा ने 2017 का विधानसभा चुनाव लखनऊ कैंट सीट से समाजवादी पार्टी के टिकट पर लड़ा था. उन्हें बीजेपी की रीता बहुगुणा जोशी के हाथों हार का सामना करना पड़ा था. उनके लिए अखिलेश यादव ने प्रचार भी किया था. जोशी के सांसद चुने जाने के बाद हुए उपचुनाव में भी बीजेपी ने यह सीट जीत ली थी.
उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव 2022 की तिथियां जारी होते ही नेताओं का पाला बदलना शुरू हो गया है. योगी आदित्यनाथ सरकार में मंत्री रहे स्वामी प्रसाद मौर्य, धर्म सिंह सैनी जैसे वरिष्ठ नेता समाजवादी पार्टी का दामन थाम चुके हैं. इसके अलावा भाजपा के कई विधायक भी सपा में शामिल हो चुके हैं. अन्य छोटे दलों के प्रभावी नेताओं का भी पाला बदलने का सिलसिला शुरू है.
बता दें कि उत्तर प्रदेश की 403 विधानसभा सीटों के लिए सात चरणों में मतदान 10 फरवरी से शुरू होगा. उत्तर प्रदेश में अन्य चरणों में मतदान 14, 20, 23, 27 फरवरी, 3 और 7 मार्च को होगा. वहीं यूपी चुनाव के नतीजे 10 मार्च को आएंगे. 2017 के चुनाव में बीजेपी ने यहां की 403 में से 325 सीटों पर जीत दर्ज की थी. सपा और कांग्रेस ने साथ मिलकर चुनाव लड़ा था. सपा ने 47 और कांग्रेस ने 7 सीटें ही जीती थीं. मायावती की बसपा 19 सीटें जीतने में कामयाब रही थी. वहीं 4 सीटों पर अन्य का कब्जा हुआ था.