भाजपा में जाने की अटकलों को अजित पवार ने खारिज कर दिया है। अजित पवार ने कहा है कि वह एनसीपी में हैं और एनसीपी में ही रहेंगे। अजित पवार ने कहा कि ‘मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए ऐसी खबरें फैलाई जा रही हैं।’ उन्होंने कहा कि ‘पार्टी जो भी फैसला करेगी, मैं उसके साथ रहूंगा।’
बता दें कि एनसीपी मुखिया शरद पवार भी अजित पवार के भाजपा में जाने की अटकलों को खारिज कर चुके हैं। शरद पवार ने कहा कि ‘इन खबरों में कोई सच्चाई नहीं है। अजित पवार ने कोई बैठक नहीं बुलाई है, वह पार्टी के कार्यकर्ता हैं और ये सब उनके दिमाग की उपज है।’
NCP चीफ शरद पवार ने भतीजे के भाजपा के साथ जाने की खबरों को सिर्फ अटकलें बताया। उन्होंने कहा कि इस बारे में सिर्फ मीडिया में बात हो रही है। पार्टी को मजबूत करने की कोशिश की जा रही है। इसलिए अजित चुनाव में व्यस्त हैं। इस बीच, अजित ने फेसबुक और ट्विटर अकाउंट से NCP का बैनर हटा दिया है। ऐसा कहा जा रहा है कि अजित के साथ NCP के 40 विधायक हैं।
उधर, उद्धव गुट के सांसद संजय राउत ने कहा कि यह सब BJP के लोग कर रहे हैं। अजित के खिलाफ खबरें प्लांट करवाई जा रही हैं। अजित ऐसा कुछ भी नहीं करेंगे। अजित महाविकास अघाड़ी के आधार स्तंभ हैं। मेरी खुद आज शरद पवार समेत कई NCP नेताओं से बात हुई हैं। NCP को तोड़ने की कोशिशें हो रही है, लेकिन पार्टी आज भी NCP के साथ है। शिवसेना की तरह NCP को भी तोड़ने के लिए केंद्रीय एजेंसियों का इस्तेमाल किया जा रहा है।
ये चर्चा क्यों हो रही है
NCP नेता सुप्रिया सुले ने वंचित बहुजन अघाड़ी के प्रकाश आंबेडकर के एक बयान पर कहा, ‘एक धमाका दिल्ली में और एक राज्य में होगा, लेकिन मैं वास्तव में आज में जीने वाली हूं, 15 दिन बाद क्या होगा। यह मैं नहीं बता सकती। ऐसा कहकर उन्होंने सवाल टाल दिया। दरअसल, उनसे आंबेडकर के 15 दिनों में राज्य में दो बड़े धमाके होने वाले बयान पर सवाल पूछा गया था।’
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया था कि सोमवार को अजित पवार ने NCP के कुछ विधायकों के साथ बैठक की है। इस पर शरद पवार ने आज (मंगलवार) को कहा कि अजित ने ऐसी कोई मीटिंग नहीं बुलाई।
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में ऐसा भी कहा जा रहा है कि अजित भाजपा और शिंदे गुट के साथ जा सकते हैं। उनके साथ पार्टी के 40 विधायक हैं।
10 दिन पहले शरद पवार ने अडाणी-हिंडनबर्ग केस में विपक्ष की JPC (जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी) की मांग को बेकार बताया था। कांग्रेस ने पवार के इस बयान से खुद को अलग कर लिया था। उनके इस रुख को भी भाजपा के खिलाफ नरमी के तौर पर देखा गया।