मुंबई, 27 मार्च । स्वतंत्रतावीर सावरकर को लेकर महाविकास आघाड़ी में टकराव बढ़ गया है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा सावरकर को लेकर की गई टिप्पणी शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) पार्टी को नागवार गुजरी है। इधर कांग्रेस ने भी साफ कर दिया है कि वह सावरकर और महात्मा गांधी की अपनी भूमिका को लेकर अडिग है।
मालेगांव में बीते रविवार को उद्धव ठाकरे ने सावरकर पर दिए गए राहुल गांधी के बयान पर नाराजगी जताई थी और उन्हें सुझाव दिया कि ऐसे बयानों से बचें। इस पर कांग्रेस ने अपनी भूमिका स्पष्ट की है कि शिवसेना और कांग्रेस की विचारधारा अलग-अलग है। हम कॉमन-मिनिमम प्रोग्राम के तहत भाजपा को रोकने के लिए साथ आए हैं। हमें देश का संविधान और लोकतंत्र बचाना है। शिवसेना अपनी भूमिका पर प्रखर है तो हम भी अपनी भूमिका पर अडिग हैं, इस पर कोई बदलाव नहीं होगा और न समझौता होगा। यह संदेश शिवसेना को कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता अतुल लोंढे ने दिया है। इधर आज सोमवार को शिवसेना के मुखपत्र सामना की संपादकीय के माध्यम से संदेश दिया गया है कि सावरकर का अपमान बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। शिवसेना ने राहुल गांधी को यह तक संदेश दिया है कि उसके लिए सावरकर बनो!
सामना ने लिखा है कि राहुल गांधी बार-बार कह रहे हैं कि मैं नहीं डरता। मुझे जेल में डाल दिया जाए तब भी मैं सवाल पूछता रहूंगा। राहुल गांधी नहीं डर रहे हैं और अडानी-मोदी के संबंधों पर लगातार सवाल पूछ रहे हैं, यह सही है लेकिन राहुल गांधी को खुद के साथ अपनी पूरी पार्टी और देश को भी निडर बनाने की जरूरत है। ”मेरा सरनेम सावरकर नहीं” ऐसा बयान बार-बार देने से निडरता पैदा नहीं होगी और वीर सावरकर के प्रति जनता का विश्वास नहीं टूटेगा। राहुल गांधी का जन्म शहीदों के परिवार में हुआ है और यह सच है। लेकिन वीर सावरकर और उनके पूरे परिवार ने भी देश के लिए उतना ही महान बलिदान दिया है। राहुल गांधी वीर सावरकर के बारे में जो अपमानजनक बयान दे रहे हैं, इससे उनके प्रति निर्माण हुई सहानुभूति कम हो जाएगी। महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा दिक्कत कांग्रेसियों को होगी। महाराष्ट्र के गांव-गांव में सावरकर अनेक रूपों में सीना तानकर खड़े हैं। मानते हैं मोदी-अडानी की मिलीभगत से देश को लूटा जा रहा है। उस लूट पर सवाल पूछने वालों को अपराधी करार दिया गया है।
सामना के अनुसार देश में दो भयानक कानून आज विपक्षियों को खत्म कर रहे हैं और ये दोनों भयानक कानून कांग्रेस के दौर में लाए गए थे। ”ईडी” के लिए जो विशेष मनी लॉन्ड्रिंग कानून का ”भस्मासुर” तैयार किया गया, उस भस्मासुर के जन्मदाता तत्कालीन वित्त मंत्री पी. चिदंबरम हैं। दूसरा कानून यानी जनप्रतिनिधियों को कोर्ट द्वारा दो साल से ज्यादा की सजा सुनाए जाने के बाद विधायक और सांसद पद को रद्द करने का कानून है। उन जनप्रतिनिधियों को अपील करने का मौका मिले, तब तक उनके विधायक- सांसद पद के संरक्षण मिले, ऐसा एक अध्यादेश पारित किया गया था और यह सही था। राहुल गांधी ने सरेआम उस अध्यादेश के टुकड़े-टुकड़े कर डाले थे और आज उसी के कारण राहुल गांधी की लोकसभा की सदस्यता संकट में आई है। राहुल गांधी को भी सावरकर की तरह शपथ लेकर मौजूदा गुलामी के खिलाफ लड़ाई लड़नी चाहिए।