महाराष्ट्र (Maharashtra) में राज्य सरकार द्वारा सुपरमार्केट्स में वाइन बेचने का फैसला किया है. इस फैसले की कई लोग आलोचना कर रहे है. गांधीवादी अन्ना हजारे ने भी इस फैसले पर नाराजगी जताई है. अन्ना हजारे ने किराना दुकानों से वाइन की बिक्री की अनुमति देने के फैसले के खिलाफ अनिश्चितकालीन अनशन का आह्वान किया है.
अन्ना हजारे ने इस संबंध में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र लिखा है. सीएम ठाकरे को लिखी चिट्ठी में उन्होंने संकेत दिया है कि वह 14 फरवरी से आमरण अनशन करेंगे. चिट्ठी में कहा गया है कि रालेगण सिद्धि स्थित यादव बाबा मंदिर में 14 फरवरी से आमरण अनशन शुरू होगा.
अन्ना हजारे ने चिट्ठी में कहा, ‘क्या सरकार को नहीं लगता कि इससे महिलाओं को नुकसान पहुंचाया जा सकता है.’ उन्होंने कहा- ‘युवा शक्ति हमारी राष्ट्रीय शक्ति है. उसके पास फैसले का विरोध करने के अलावा कोई चारा नहीं है.’ हजारे ने यह भी कहा कि यह ‘आश्चर्यजनक’ है कि सरकार कह रही है कि वाइन, शराब नहीं है.
अन्ना हजारे ने कहा- ‘प्रदेश के 36 जिलों में भ्रष्टाचार विरोधी जन संगठन हैं. उन सभी कार्यकर्ताओं ने अपना सार्वजनिक विरोध व्यक्त करते हुए आपको एक बयान भेजा है. साथ ही राज्य में विभिन्न गैर-राजनीतिक, सामाजिक संगठन हमसे चर्चा कर रहे हैं. सभी इस फैसले के खिलाफ राज्यव्यापी आंदोलन करने को तैयार हैं. अगर सरकार नहीं जागती है तो आंदोलन के अलावा कोई विकल्प नहीं है.’
गांधीवादी नेता ने चिट्ठी में कहा है – ‘देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कभी मेरी चिट्ठी का जवाब नहीं देते. अब राज्य के मुख्यमंत्री ऐसा ही करते दिख रहे हैं. मैंने कभी किसी निजी मामले पर प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री को पत्र नहीं लिखा. मैं व्यापक हित के सामाजिक मुद्दों पर ही पत्र लिखता हूं.’
सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा- ‘बच्चे हमारी राष्ट्रीय धरोहर हैं. ये कल के हीरो हैं. अगर वाइन सुपरमार्केट और किराने की दुकानों में रखी जाती है, तो ये बच्चे भी आदी हो जाएंगे. अगर दूकान में वाइन आ जाए तो यह हमारी संस्कृति को नष्ट कर देगी.’
बता दें कि महाराष्ट्र में सुपरमार्केट और आस-पड़ोस की दुकानों में शराब की बिक्री की अनुमति दी गई है. इसके लिए राज्य मंत्रिमंडल ने प्रस्ताव पास किया. ठाकरे सरकार के इस फैसले को लेकर महाराष्ट्र की सियासत में जमकर घमासान मचा हुआ है. बीजेपी ने भी इस फैसले की आलोचना की थी.
भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस ने इस फैसले की आलोचना करते हुए कहा कि सरकार ने शराबबंदी वापस ले ली है. उन्होंने महाराष्ट्र को “मद्य-राष्ट्र” बनाने का भी आरोप लगाया. पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि महा विकास आघाड़ी सरकार ने महामारी के दो साल के दौरान लोगों की मदद नहीं की, लेकिन इसकी प्राथमिकता शराब की बिक्री को बढ़ावा देना है.
क्या है नई शराब नीति
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री कार्यालय की तरफ से जारी एक बयान में कहा गया कि सुपरमार्केट और आस-पड़ोस की दुकानों में शराब की बिक्री के लिए अलग से स्टॉल लगाए जाएंगे. नए नियम के मुताबिक, जगह का क्षेत्रफल 100 वर्ग मीटर या उससे अधिक हो. इसके साथ ही उसका महाराष्ट्र की दुकान और प्रतिष्ठान कानून के तहत रजिस्ट्रेशन जरूरी है. हालांकि, पूजा स्थलों और शैक्षणिक संस्थानों के निकट सुपरमार्केट में शराब की बिक्री की इजाजत नहीं दी गई है. इसके अलावा जिन जिलों में शराबबंदी लागू है वहां भी शराब की बिक्री की अनुमति नहीं होगी. शराब बेचने के लिए सुपरमार्केट को 5,000 रुपये का शुल्क देना होगा.