कर्नाटक में ‘हिजाब’ विवाद के बीच, महाराष्ट्र के मंत्री एवं राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता नवाब मलिक (Nawab Malik) ने बुधवार को को कहा कि “क्या खाना है और क्या पहनना है” को चुनना एक मौलिक अधिकार है।
एनसीपी नेता ने कहा, “भाजपा लोगों पर अपनी पसंद थोपने की कोशिश कर रही है। उत्तर भारत में घूंघट एक सांस्कृतिक प्रथा है। क्या वे इसे भी हटा देंगे? यह बहुसंख्यकवादी राजनीति है।” उन्होंने आगे कहा, “मुसलमान लड़कियां कॉलेज जा रही हैं, अगर वे पढ़ रही हैं तो आप परेशान क्यों हैं? क्या बेटी पढाओ का नारा झूठा है?”
मलिक ने ट्वीट किया, ‘‘देश में कौन क्या खाएगा? , कौन क्या पहनेगा? अब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और संघ परिवार तय करेगा? यह नागरिकों के मौलिक अधिकारों का हनन है, मुस्लिम लड़कियां स्कूल और कॉलेज जा रही हैं ,पढ़ रही हैं, क्या यह परेशानी है, बेटी पढ़ाओ नारे का क्या हुआ।’’
महाराष्ट्र के अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री ने एक अन्य ट्वीट में कहा कि ‘भारत का विचार’ सहिष्णुता, समानता और एकता के बारे में है और शिक्षण संस्थानों को इन मूल्यों को सिखाने का केंद्र बनना चाहिए। मलिक ने एक चित्र भी साझा किया जिसमें एक मुस्लिम महिला को अपने अधिकारों के लिए नारे लगाते हुए दिखाया गया है।
वहीं, हिजाब विवाद पर भाजपा का समर्थन करते हुए आदित्य ठाकरे (Aaditya Thackeray) ने कहा कि स्कूलों में यूनिफॉर्म जरूरी है। ठाकरे ने कहा कि जहां स्कूल-कॉलेजों में निर्धारित यूनिफॉर्म है, उसका पालन किया जाए। शिक्षा के केंद्रों में केवल शिक्षा पर ध्यान देना चाहिए। धार्मिक या राजनीतिक मुद्दों को स्कूलों-कॉलेजों में नहीं लाया जाना चाहिए।
आज नहीं निकल सका हल
कर्नाटक में स्कूल और कॉलेजों में मुस्लिम छात्राओं के हिजाब पहनने पर जारी विवाद का हल आज भी नहीं निकल सका है। कर्नाटक हाई कोर्ट में आज लगातार दूसरे दिन इस मामले की सुनवाई हुई, लेकिन कोई फैसला नहीं आया। जस्टिस कृष्णा दीक्षित की अदालत ने इस मामले को बड़ी बेंच के समक्ष भेजने का फैसला लिया है। केस की सुनवाई कर रही बेंच ने कहा कि इस मामले को बड़ी बेंच के समक्ष भेजा जाना चाहिए। हालांकि दोनों पक्षों ने कहा कि इस मामले को भले ही ऊपर भेजा जाए, लेकिन मामले का जल्दी ही हल निकलना चाहिए। इस बीच कर्नाटक में उडुपी, शिमोगा, बेंगलुरु समेत सभी शहरों में शांति बनी रही।