पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह NDA की ओर से उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार हो सकते हैं। यह चर्चा कैप्टन के अपनी पार्टी पंजाब लोक कांग्रेस को भाजपा में मर्ज करने की तैयारी के बाद तेज हो गई है। कैप्टन के PM नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से अच्छे संबंध हैं। ऐसा कहा जा रहा है कि पार्टी मर्ज करने के साथ उनकी उम्मीदवारी का ऐलान होगा।
पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पंजाब विधानसभा चुनाव- 2022 से ठीक पहले कांग्रेस से जुदा होकर नई पार्टी का गठन किया था। अमरिंदर सिंह की पार्टी का नाम ‘पंजाब लोक कांग्रेस’ (पीएलसी) है। अब जल्द ही इस पार्टी का विलय भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में हो जाएगा। कैप्टन इलाज के लिए अभी लंदन में हैं। उनकी सर्जरी हुई है। वह इस महीने के दूसरे हफ्ते में पंजाब लौट आएंगे।
देश के मौजूदा उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू का कार्यकाल 11 अगस्त को खत्म हो रहा है। इससे पहले 6 अगस्त को उपराष्ट्रपति चुनाव होंगे। इसके लिए 5 जुलाई को अधिसूचना जारी होने के बाद 19 जुलाई तक नामांकन भरे जाएंगे।
कहा जा रहा है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह को उपराष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाकर भाजपा सिख समुदाय में एक बेहतर संदेश देने की कोशिश कर सकती है। भाजपा की इस रणनीति को कांग्रेस को एक और झटका देने की कोशिश के रूप में भी देखा जा रहा है।
पंजाब में अकाली दल बीजेपी की सहयोगी हुआ करती थी, लेकिन कृषि बिल और किसान आंदोलन के बाद दोनों का गठबंधन टूट गया। किसान आंदोलन के बाद सिख समुदाय बीजेपी से नाराज बताया जाता है, जिसके बाद सिख समुदाय से नजदीकी बढ़ाने के लिए भाजपा हर दांव खेल रही है।
प्रधानमंत्री मोदी सिख शख्सियतों से मिल रहे हैं। वहीं, लाल किले में श्री गुरु तेग बहादुर जी का प्रकाश उत्सव भी मनाया जा चुका है। और इसी क्रम में अब कैप्टन को उपराष्ट्रपति पद के लिए अपना उम्मीदवार बना सकती है। कैप्टन पंजाब के सियासी दिग्गज माने जाते हैं। पंजाब के शहरों से लेकर गांवों तक हर जगह वह एक चर्चित नेता हैं। इसलिए कैप्टन के सहारे 2024 लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा पंजाब की 13 सीटों पर नजर लगाए बैठी है।
विधानसभा चुनाव में फेल रहे अमरिंदर
कैप्टन अमरिंदर सिंह 2 बार पंजाब के CM रहे। उनका साढ़े 9 साल का कार्यकाल रहा। पिछले साल चुनाव से 3 महीने पहले कांग्रेस ने उन्हें CM की कुर्सी से हटा दिया। कैप्टन ने पंजाब लोक कांग्रेस के नाम से नई पार्टी बनाई। फिर भाजपा से गठबंधन कर चुनाव लड़ा, लेकिन उनके कैंडिडेट के साथ कैप्टन खुद भी हार गए। भाजपा को भी सिर्फ 2 सीटें मिलीं। हालांकि, इस हार को पंजाब के लोगों की पारंपरिक दलों से बदलाव की इच्छा से जोड़कर देखा जा रहा है।