आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत (RSS Chief Mohan Bhagwat) बुधवार को हैदराबाद में रामानुजाचार्य सहस्त्राब्दी समारोह में शामिल हुए। उनके साथ मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chauhan) इस कार्यक्रम में शरीक हुए। भागवत के साथ शिवराज ने भी स्वामी रामानुजाचार्य की याद में बनाए गए स्टैच्यू ऑफ इक्वालिटी (Statue of Equality) के दर्शन किए।
11 वीं सदी के संत रामानुजाचार्य के सहस्राब्दी जयंती समारोह को संबोधित करते हुए संघ प्रमुख ने कहा कि ‘हिंदू हित’ यानी ‘राष्ट्र हित’ हमारी प्राथमिकता होना चाहिए। दूसरे नंबर पर अपनी भाषा, जाति और परिवार का हित होना चाहिए।
मोहन भागवत ने कहा, ‘कोई भी बात जो आपस में झगड़ा लगाने वाली है, उसमें हम नहीं जाएंगे, कोई भी बात जो हमें डरपोक बनाने वाली है, उसमें भी हम नहीं जाएंगे। हम स्वाभिमान से जिएंगे और सृष्टि का पालन-पोषण करेंगे। इस तरह का जीवन जीने का संकल्प हमारा होना चाहिए।’
उन्होंने कहा, ‘हमारे पास ऐसा सामर्थ्य है कि हमारे सामने खड़े होने की ताकत किसी में नहीं है। हमें समाप्त करने का बहुत प्रयास किया गया।’ आरएसएस प्रमुख ने हैदराबाद में कहा, ‘अगर हमें समाप्त होना होता तो हम पिछले 1000 साल में हो जाते लेकिन ऐसा नहीं हुआ। जो हमको नष्ट करने पर तुले थे उनके पैर खोखले हो रहे हैं। हम वैसे के वैसे हैं। आज भी भारत में 5000 साल पुराना सनातम धर्म भारत में वैसे का वैसा देखने को मिलता है।’
उन्होंने कहा कि कुछ लोगों के डर का एकमात्र कारण यह है कि वे भूल गए हैं कि वे कौन हैं। उन्होंने हमें खत्म करने की कोशिश की लेकिन ऐसा नहीं हुआ। आज भी भारत का ‘सनातन’ धर्म जिंदा है। इतने अत्याचारों के बावजूद, हमारे पास ‘मातृभूमि’ है। हमारे पास बहुत संसाधन हैं, तो हम क्यों डरते हैं? क्योंकि हम खुद को भूल जाते हैं। स्पष्ट कमजोरी का कारण यह है कि हम जीवन के प्रति अपने समग्र दृष्टिकोण को भूल गए हैं।
संघ प्रमुख् ने कहा कि हमारे देश में हमलों का सामना करने और क्रूर अत्याचार का सामना करने के बावजूद आज भी 80 प्रतिशत हिंदू हैं। जो देश पर शासन कर रहे हैं और राजनीतिक दल चला रहे हैं, उनमें से अधिकतर हिंदू हैं। यह हमारा देश है और आज भी हमारे मंदिर हैं और मंदिर बन रहे हैं। हमारी परंपराओं ने हमें जो सिखाया वह स्थाई है। हिंदू हित यानी राष्ट्र्रहित है। यह पहली प्राथमिकता होना चाहिए। इसी तरह से हम मजबूत व सक्षम राष्ट्र बनेंगे और इससे डर का विचार खत्म होगा।
216 फुट ऊंची ‘स्टैच्यू ऑफ इक्वालिटी’
हैदराबाद के बाहरी इलाके में श्रीरामनगरम, जीवा कैंप्स में स्थित स्टैट्यू ऑफ इक्वालिटी, स्वामी रामानुजाचार्य की प्रतिमा का नाम है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस साल पांच जनवरी को 216 फुट ऊंची ‘स्टैच्यू ऑफ इक्वालिटी’ प्रतिमा का अनावरण किया था। यह ‘पंचधातु’ से बनी है जिसमें सोना, चांदी, तांबा, पीतल और जस्ता शामिल हैं। यह दुनिया में बैठी अवस्था में सबसे ऊंची धातु की प्रतिमाओं में से एक है।