अरब देश कतर की अदालत ने वहां की जेल में बंद 8 भारतीयों को मौत की सजा सुनाई है। ये सभी भारतीय नौसेना के रिटायर्ड अफसर हैं। इन पर इजरायल के लिए जासूसी करने का आरोप है। इन लोगों को पिछले साल सितंबर में गिरफ्तार किया गया था। एक वक्त कतर प्रशासन उन्हें रिहा करने वाला था, लेकिन ऐन मौके पर उसने अपना फैसला बदल लिया।
भारत ने अपने नागरिकों को मौत की सजा दिए जाने पर हैरानी और नाराजगी जताई है। विदेश मंत्रालय ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, ‘हम प्रभावित लोगों के परिजनों और कानूनी टीम के संपर्क में हैं। हमारे लिए यह काफी संवेदनशील मामला है और हम सभी कानूनी विकल्प तलाश रहे हैं। हम फैसले को कतर के उच्च अधिकारियों के सामने भी उठाएंगे।’
विदेश मंत्रालय के बयान के मुताबिक, ये आठ लोग कतर के अल दहारा कंपनी (Al Dahra Company) में काम करते हैं। यह एक प्राइवेट कंपनी है, जो कतर की आर्मी को ट्रेनिंग देती है।
क्या आरोप हैं भारतीय नौसैनिकों पर?
कतर के गृह मंत्रालय को शक था कि ये लोग इजरायल के लिए जासूसी कर रहे हैं। इन सबको पूछताछ के नाम पर हिरासत में लिया गया था। फिर एक महीने बाद कतर प्रशासन ने उन्हें रिहा करने का फैसला किया। सभी लोगों से कहा गया कि वे दोहा में अपने आवास पर जाएं, अपना सामान पैक करें और भारत वापस लौट जाएं।
लेकिन, सूटकेस पैक करने के बाद सभी लोगों को अगले आदेश तक के लिए फिर से जेल में डाल दिया गया। और तभी से आठों पूर्व नौसैनिक अपने सूटकेस के साथ जेल में ही बंद हैं। इन लोगों ने कतर के अमीर से माफी देने के लिए दया याचिका भी दायर की थी। लेकिन, अमीर ने उसे भी ठुकरा दिया।
सजा पाने वाले ज्यादातर अधिकारियों की उम्र 60 साल से अधिक है। कुछ की सेहत भी खराब है। ऐसे में उनके परिजनों को उम्मीद थी कि कतर के अमीर रहम दिखाते हुए दया याचिका को मंजूर कर लेंगे और दिवाली तक सब लोग वापस भारत आ जाएंगे। लेकिन, दया याचिका खारिज होने से उनकी उम्मीदें और हौसले टूट गए हैं।
जिन पूर्व नौ-सैनिकों को सजा सुनाई गई है, उनके नाम हैं- कैप्टन नवतेज सिंह गिल, कैप्टन बीरेंद्र कुमार वर्मा, कैप्टन सौरभ वशिष्ठ, कमांडर अमित नागपाल, कमांडर पूर्णेंदु तिवारी, कमांडर सुगुनाकर पकाला, कमांडर संजीव गुप्ता और सेलर रागेश।
इस मामले में भारत सरकार का क्या रुख रहा?
कतर में भारत के राजदूत ने इस महीने की शुरुआत में जेल में इन पूर्व नौसैनिकों से मुलाकात की थी। कतर ने इनके लिए काउंसलर एक्सेस मुहैया कराया था। हालांकि, कतर ने कभी भी पूर्व अधिकारियों के खिलाफ आरोपों की डिटेल नहीं दी। इससे भारत को अपने नागरिकों का पक्ष मजबूती से रखने में दिक्कत हुई। भारत ने कतर सरकार से अपील भी की थी कि वह पूर्व नौसैनिकों पर दया दिखाए और उन्हें छोड़ दे। लेकिन, कतर ने इस अपील को भी ठुकरा दिया।
अब भारत अपने नागरिकों की रिहाई के लिए दूसरे कानूनी विकल्पों पर गौर कर रहा है। उसने फांसी के फैसले को चुनौती देने की बात भी कही है।