अंग्रेजी भाषा के प्रख्यात लेखक सलमान रुश्दी पर शुक्रवार को न्यूयॉर्क में हुए हमले ने सभी को हैरान कर दिया. रुश्दी पश्चिमी न्यूयॉर्क के चौटाउक्वा में कार्यक्रम के दौरान अपना व्याख्यान शुरू करने वाले ही थे कि तभी एक व्यक्ति मंच पर चढ़ा और रुश्दी को घूंसे मारे और चाकू से उन पर हमला कर दिया. हमले में रुश्दी की गर्दन पर चोट आई है. सलमान रुश्दी के हमलावर की पहचान 24 साल के हादी मतार के रूप में हुई है जो न्यूजर्सी का रहने वाला है.
न्यूयॉर्क पुलिस ने अभी तक हमलावर के खिलाफ आरोप नहीं लगाए हैं. उसने एक बयान में कहा है कि हमलावर पर क्या धाराएं लगेंगी, यह सलमान रुश्दी की स्थिति पर निर्भर करेगा. कथित हमलावर को हिरासत में ले लिया गया है.
पुलिस ने बताया कि सलमान रुश्दी के भाषण देने के लिए मंच पर पहुंचने के कुछ ही देर बाद हादी मतार ने कम से कम एक बार उनके गले पर और एक बार पेट में चाकू से हमला किया. रिपोर्ट्स की मानें तो 75 वर्षीय लेखक रुश्दी वेंटिलेटर पर हैं. इस हमले के कारण वह अपनी एक आंख गंवा सकते हैं. उनके लीवर में भी गंभीर चोट आई है. वहीं, सलमान रुश्दी पर हुए इस जानलेवा हमले के बाद ईरान की भी चर्चा होने लगी है.
हादी मतार मैनहट्टन में हडसन नदी के पार फेयरव्यू में रहता है. न्यूयॉर्क पुलिस ने बताया कि हादी मतार के पास सलमान रुश्दी के व्याख्यान में शामिल होने के लिए पास था. पुलिस ने कहा कि मतार के हमले का मकसद स्पष्ट नहीं है. यह भी माना जा रहा है कि उन्होंने अकेले इस हमले को अंजाम दिया.
पुलिस ने बताया कि हमले के बाद सलमान रुश्दी मंच पर गिर गए और उनके हाथों में खून लगा हुआ देखा गया था. न्यूयॉर्क पुलिस ने बताया कि इस तरह की घटना पिछले 150 साल में कभी नहीं हुई है. हम सभी को सलमान रुश्दी के परिवार के साथ बने रहना है.
FBI कर रही जांच
न्यूयॉर्क राज्य पुलिस ने कहा कि एफबीआई जांच में मदद कर रही है और अभी वह शुरुआती चरण में है. पुलिस को मौके से एक बैग और कुछ इलेक्ट्रॉनिक उपकरण मिले हैं.
ईरान सरकार का समर्थक है हादी मतार
कुछ रिपोर्ट्स ने दावा किया कि हादी मतार को ईरानी सरकार के प्रति सहानुभूति थी जिसने रुश्दी की मृत्यु का आह्वान किया था. उनके फेसबुक अकाउंट में जाहिर तौर पर ईरान के नेता अयातुल्ला खुमैनी की तस्वीर है, जिन्होंने 1989 में सलमान रुश्दी के खिलाफ फतवा जारी किया था. एनबीसी न्यूज के मुताबिक हादी मतार ने ईरान और उसके रिवोल्यूशनरी गार्ड के समर्थन में और शिया चरमपंथ के समर्थन में सोशल मीडिया पर पोस्ट किए थे.
75 साल के सलमान रुश्दी को उनके उपन्यास मिडनाइट्स चिल्ड्रन के लिए बुकर पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. बुकर पुरस्कार जीतने के बाद सलमान रुश्दी का एक और उपन्यास आया जिसका नाम था ‘द सैटेनिक वर्सेज’ (The Satanic Verses). साल 1988 में प्रकाशित इस पुस्तक को लेकर विवाद खड़ा हो गया. ईरान के सर्वोच्च धार्मिक नेता अयातुल्लाह खुमैनी ने इसे इस्लाम धर्म का अपमान बताया और सलमान रुश्दी के खिलाफ फतवा जारी कर दिया.
रुश्दी पर रखा था 3 मिलियन डॉलर का इनाम
सलमान रुश्दी को मारने वाले के लिए तीन मिलियन अमेरिकी डॉलर के इनाम का ऐलान किया गया था. अयातुल्लाह खुमैनी के फतवे का असर 13 देशों में साफ देखने को मिल रहा था. सलमान रुश्दी को मौत की धमकियों का सामना करना पड़ा. साल 1989 में आए इस फतवे के बाद सलमान रुश्दी को नौ साल तक छिपकर रहना पड़ा. बाद में ईरान की ओर से ये कहा गया कि वह सलमान रुश्दी को मारने का समर्थन नहीं करता. हालांकि, साल 2012 में ईरान के एक संगठन ने सलमान रुश्दी को मारने वाले के लिए इनामी राशि 3 मिलियन डॉलर से बढ़ाकर 3.3 मिलियन डॉलर करने का ऐलान कर दिया.
सलमान रुश्दी के चौथे उपन्यास ‘द सैटेनिक वर्सेज’ की खरीद और बिक्री पर भारत समेत कई देशों में बैन है. सलमान रुश्दी के इस उपन्यास में पैगंबर मोहम्मद का अपमान किए जाने का आरोप लगाते हुए बड़ी संख्या में लोग सड़कों पर उतर आए थे. कई देशों में विरोध-प्रदर्शन हुए और इस उपन्यास की प्रतियां फूंकी गई थीं. भारत में तब राजीव गांधी के नेतृत्व वाली सरकार थी. राजीव गांधी के नेतृत्व वाली सरकार ने इस उपन्यास की खरीद-बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया था.