भारत की वैक्सीन योजना की जानकारी से परिचित कुछ अधिकारियों ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि केंद्र सरकार कम से कम पांच अलग-अलग तरीकों पर काम कर रही है जिसमें नि:शुल्क टीकों से लेकर गारंटीकृत आपूर्ति तक शामिल है। जिसमें पश्चिम एशिया, अफ्रीका और यहां तक कि लैटिन अमेरिका के देशों के साथ-साथ अपने पड़ोसी देशों की मदद करना भी शामिल है। यह विचार राजनयिक संबंधों को मजबूत करने के लिए औऱ दुनिया में वैक्सीन की फैक्ट्री के रूप में उभर के आने का है।
भारतीय कंपनियां दो टीकों पर काम कर रही हैं जो वर्तमान में क्रिनिकल ट्रायल के बीच में हैं। यह व्यवस्था बड़े पैमाने पर इन टीकों के लिए होगी, इसमें पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) द्वारा निर्मित टीके भी शामिल हो सकते हैं, जो दुनिया की सबसे बड़ी वैक्सीन निर्माता कंपनी है। जिसके साथ एस्ट्राज़ेनेका सहित तीन कंपनियों की भागीदारी है। एक अधिकारी ने बताया कि योजना को लेकर अभी फाइनल प्लान नहीं बना है इसको लेकर आखिरी रूप दिए जाना अभी बाकी है उदाहरण के लिए टीकों की आपूर्ति के लिए भारत द्वारा तय किए गए किसी भी मंच को लाइसेंसिंग समझौतों का सम्मान करना होगा जो यह तय करेगा कि टीके को कहां बेचा जा सकता है और कहां नहीं।
सरकारी अधिकारी नीति आयोग के डॉक्टर वीके पॉल के नेतृत्व वाले टीकों पर विशेषज्ञों के समूह के परामर्श से योजना के विवरण पर काम कर रहे हैं। अधिकारियों का कहना है कि एक बार वैक्सीन के बनने और अप्रूव होने के बाद सरकार संभावित लाभार्थियों के साथ अग्रीमेंट साइन करेगी। अधिकारियों ने बताया महत्वपूर्ण पड़ोसी देशों को शामिल करने के लिए सावधानी से चुना जाएगा, जहां बड़ी संख्या में भारतीय काम कर रहे हैं या अध्ययन कर रहे हैं और जो संयुक्त राष्ट्र (यूएन) जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत के लिए बहुत उपयोगी और सहायक रहे हैं। ऐसे पांच मॉडल पर विचार किया जा रहा है पांच मॉडलों में से पहला नि: शुल्क वितरण शामिल है जो बांग्लादेश, अफगानिस्तान जैसे आस-पास के पड़ोसी देशों तक सीमित हो सकता है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान अभी इस विचार का हिस्सा नहीं है और ऐसा अंदाजा लगाया जा रहा है कि पाकिस्तान चीनी टीकों पर निर्भर हो सकता है।