अंतरिक्ष में आज भारत ने नए युग की शुरुआत कर दी है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने देश का पहला प्राइवेट रॉकेट ‘विक्रम-एस’ को लॉन्च कर दिया है. इस रॉकेट (विक्रम-एस) को हैदराबाद में स्थित स्काईरूट एयरोस्पेस (Skyroot Aerospace) कंपनी ने बनाया है.
‘विक्रम-एस’ की लॉन्चिंग आज (शुक्रवार) सुबह 11:30 बजे श्रीहरिकोटा में स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से हुई. इस मिशन को ‘प्रारंभ’ नाम दिया गया. जिसमें तीन उपभोक्ता पेलोड हैं. ये देश की स्पेस इंडस्ट्री में प्राइवेट सेक्टर की एंट्री को नई ऊंचाइयां देगा. गौरतलब है कि विक्रम एस रॉकेट का प्रक्षेपण 15 नवंबर को ही होना था. लेकिन खराब मौसम के कारण विक्रम-एस का प्रक्षेपण को तीन दिन के लिए टाल दिया गया था.
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने बताया कि अंतरिक्ष तकनीक और नवोन्मेष के क्षेत्र में इसरो के साथ काम करने के लिए 100 स्टार्ट-अप समझौता कर चुके हैं. इंडियन नेशनल स्पेस प्रमोशन एंड ऑथराइजेशन सेंटर (IN-SPACe) के अध्यक्ष पवन कुमार गोयन ने इस अवसर पर बताया कि मुझे मिशन प्रारंभ – स्काईरूट एयरोस्पेस की शुरुआत के सफल समापन की घोषणा करते हुए खुशी हो रही है. यह भारत के निजी क्षेत्र के लिए सुखद शुरुआत है, जो अंतरिक्ष के क्षेत्र में कदम रखने जा रहे हैं और एक ऐतिहासिक क्षण हैं. इसे कभी भुलाया नहीं जा सकता है.
रॉकेट का नाम ‘विक्रम-एस’ भारत के महान वैज्ञानिक और इसरो के संस्थापक डॉ. विक्रम साराभाई के नाम पर रखा गया है. ये रॉकेट दुनिया के कुछ लॉन्च वाहनों में से हैं, जिन्हें कार्बन कंपोजिट का उपयोग करके बनाया गया है. वाहन में स्पिन स्टेबिलिटी के लिए इस्तेमाल होने वाले थ्रस्टर्स को 3डी प्रिंटेड किया गया है. स्काईरूट कंपनी 2018 में शुरू की गई थी.
विक्रम-एस ने सब ऑर्बिटल में उड़ान भर दी है. अब भारत का नाम उन देशों के साथ जुड़ गया है, जो प्राइवेट कंपनियों के रॉकेट को स्पेस में भेजते हैं. विक्रम-एस सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से इसके लॉन्चिंग के बाद 81 किलोमीटर की ऊंचाई पर पहुंचेगा. इस मिशन में दो घरेलू और एक विदेशी ग्राहक के तीन पेलोड को ले जाया जा रह है. विक्रम-एस उप-कक्षीय उड़ान में चेन्नई के स्टार्ट-अप स्पेस किड्ज, आंध्र प्रदेश के स्टार्ट-अप एन-स्पेस टेक और आर्मेनियाई स्टार्ट-अप बाजूमक्यू स्पेस रिसर्च लैब के तीन पेलोड ले जा रहा है.