मुम्बई। वर्तमान समय में सभी टीवी चैनल अपनी TRP रेटिंग बढ़ाये जाने के लिए एक दूसरे चैनल से होड़ लगाए हुए हैं और अपनी TRP रेटिंग बढ़ाये जाने के लिए किसी भी हद तक जा रहे हैं। कई न्यूज़ चैनल तो अपने प्रतिद्वंद्वी चैनल का नाम और अपनी TRP रेटिंग चलाकर लोगों को यह साबित कर रहें हैं कि वे ही सबसे ज्यादा लोकप्रिय चैनल हैं। इस रेस में आर. भारत का नाम सबसे ऊपर है जो हर न्यूज़ के बाद आज तक चैनल को चैलेंज करता है। TRP की भूख इतनी बढ़ गयी है कि कई न्यूज़ चैनल पर फेक न्यूज़ चलाने के आरोप भी लगे हैं जिनमें NDTV, ज़ी न्यूज और आज तक का भी नाम आया है। न्यूज़ चैनल के साथ साथ धारावाहिक भी पीछे नहीं हैं अपनी TRP बढ़ाने के लिए धारावाहिकों में अश्लीलता, नाच गान और सामाजिक रिश्तों की मर्यादा को तोड़कर टीवी पर दर्शकों के समक्ष परोसा जा रहा है। कुछ रियलिटी शो अपनी TRP बढ़ाने के लिए प्रतिभागियों के निजी या भावनात्मक पहलुओं को तोड़ मरोड़ कर पेश करते हैं। कुछ तो स्क्रिप्टेड भी रहते हैं जिससे दर्शकों को वे भावनात्मक रूप से अपनी ओर खींच सके। TRP की दौड़ टीवी इंडस्ट्री की मर्यादा का हनन कर रहा है।
इन्हीं सब कारणों से मुंबई पुलिस की पहल पर लगभग 12 हफ्तों के लिए TRP पर रोक लगा दी गयी है। BARC के फैसले का खुलकर स्वागत NBA ने किया है। TRP लोगों की पसंद बताने का मापक है। इसके जरिये यह मापा जाता है कि एक तय समय के अंतराल में कितने दर्शक किसी विशेष टीवी शो या चैनल को देख रहे हैं।मुंबई पुलिस के खुलासे के बाद टेलीविजन रेटिंग बताने वाली संस्था BARC ने बड़ा फैसला लिया है। अब TRP पर अगले 12 हफ्तों तक रोक लगा दी गई है। टेलीविजन न्यूज़ की नियामक संस्था NBA ने BARC के इस फैसले का स्वागत किया है। मुंबई पुलिस कमिश्नर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके दावा किया कि TRP में घोटाला हो रहा था। कुछ चैनल कोशिश कर रहे थे कि वो किसी तरह से टीआरपी को अपनी तरफ खींच लें। लेकिन अब BARC ने फैसला लिया है कि अगले तीन महीनों तक TRP जारी नहीं की जाएगी।बार्क ब्रॉडकॉस्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (BARC) टेलीविजन रेटिंग बताने वाली एक एजेंसी है। यह दुनिया का सबसे बड़ा टेलीविजन मेजरमेंट निकाय है। BARC इंडिया साल 2010 में शुरू हुआ था और इसका मुख्यालय मुंबई में ही है।
TRP (टारगेटिंग पॉइंट्स / टेलीविज़न रेटिंग पॉइंट्स) विशेष चैनल या शो की लोकप्रियता दर्शाता है। जिस शो और चैनल की TRP ज्यादा होती है विज्ञापन भी उसे ही अधिक मिलता है। INTAM और BARC एजेंसियां किसी भी टीवी शो की TRP को मापते हैं। TRP को मापने के लिए कुछ जगहों पर पीपल्स मीटर (People’s Meter) लगाये जाते हैं। लगभग हजार दर्शकों पर नमूने के रूप में सर्वे किया जाता है। उनके रुझान और पसंदीदा चैनल की जानकारी ली जाती है और उन्हीं से प्राप्त जानकारी के अनुसार रिपोर्ट तैयार कर यह मान लिया जाता है कि यही सभी दर्शकों का मान है जो TV देख रहे होते हैं। इस पीपलस मीटर (Specific Frequency) के द्वारा यह पता लगाया जाता है कि कौन सा प्रोग्राम या चैनल कितनी बार देखा जा रहा है। इस मीटर के द्वारा एक-एक मिनट TV की जानकारी को मॉनिटरिंग टीम INTAM यानी (Indian Television Audience Measurement ) तक पहुंचा दिया जाता है। ये टीम पीपल्स मीटर से मिली जानकारी को विश्लेषण करने के बाद तय करती है कि किस चैनल या प्रोग्राम की TRP कितनी है। इसका मापन करने के लिए एक दर्शक के द्वारा नियमित रूप से देखे जाने वाले प्रोग्राम और समय को लगातार रिकॉर्ड किया जाता है और फिर इस डाटा को 30 से गुना करके प्रोग्राम का एवरेज रिकॉर्ड निकाला जाता है। यह पीपल्स मीटर किसी भी चैनल और उसके प्रोग्राम के बारे में पूरी जानकारी निकाल लेता है।
– गायत्री साहू