भारत के तेज गेंदबाज एस. श्रीसंत ने क्रिकेट से संन्यास ले लिया है. उन्होंने ट्विटर पर बुधवार (नौ फरवरी) को इसकी जानकारी दी. श्रीसंत ने बताया कि वे फर्स्ट क्लास क्रिकेट के साथ-साथ सभी फॉर्मेट्स से संन्यास ले रहे हैं.
श्रीसंत पर आईपीएल 2013 के दौरान मैच फिक्सिंग का आरोप लगा था. इसके बाद उन पर बैन लगा दिया गया था. उन्होंने बैन के बाद वापसी की थी. लेकिन आईपीएल ऑक्शन में उन्हें किसी ने नहीं खरीदा. श्रीसंत ने आखिरी मैच मेघालय के खिलाफ खेला था. फरवरी 2022 में खेले गए इस मुकाबले में उन्होंने 2 विकेट लिए थे.
श्रीसंत ने ट्विटर पर लिखा, ”आज मेरे लिए एक कठिन दिन है, साथ ही यह रिफ्लेक्शन और कृतज्ञता का भी दिन है. Ecc, एर्नाकुलम जिले के लिए खेलने का अलग अनुभव रहा है. एक क्रिकेट खिलाड़ी के रूप में अपने 25 साल के करियर के दौरान, मैंने हमेशा प्रतिस्पर्धा, जुनून और दृढ़ता के उच्चतम मानकों के साथ तैयारी और प्रशिक्षण के दौरान सफलता और क्रिकेट खेल जीतने का प्रयास किया है. मेरे परिवार, मेरे साथियों और भारत के लोगों का प्रतिनिधित्व करना मेरे लिए सम्मान की बात है.”
उन्होंने लिखा, ”बहुत दुख के साथ लेकिन अफसोस के बिना, मैं यह भारी मन से कहता हूं: मैं भारतीय घरेलू (प्रथम श्रेणी और सभी प्रारूपों) क्रिकेट से संन्यास ले रहा हूं. अगली पीढ़ी के क्रिकेटरों के लिए..मैंने अपना प्रथम श्रेणी क्रिकेट करियर समाप्त करने का फैसला किया है. यह निर्णय मेरा है, हालांकि मैं जानता हूं कि इससे मुझे खुशी नहीं मिलेगी, यह मेरे जीवन में इस समय लेने के लिए सही और सम्मानजनक कदम है. मैंने हर पल को संजोया है.”
श्रीसंत के करियर पर नजर डालें तो वह अच्छा रहा है. उन्होंने टीम इंडिया के लिए 27 टेस्ट मैच खेले हैं. इस दौरान श्रीसंत ने 87 विकेट झटके हैं. उन्होंने 53 वनडे मैचों में 75 विकेट लिए हैं. जबकि 10 टी20 इंटरनेशनल मैचों में 7 विकेट ले चुके हैं. श्रीसंत आईपीएल के 44 मैचों में 40 विकेट ले चुके हैं.
विवादों में श्रीसंत
मैच फिक्सिंग के आरोपों के कारण बीसीसीआई ने उन पर 2013 में आजीवन प्रतिबंध लगाया था. श्रीसंत को 2015 में स्पेशल कोर्ट ने सभी आरोपों से बरी किया था. इसके बाद केरल हाईकोर्ट ने 2018 में उनके ऊपर लगे सभी प्रतिबंधों को हटा दिया गया था. हालांकि, हाईकोर्ट की खंडपीठ ने बाद में प्रतिबंध को बहाल कर दिया था. इसके बाद श्रीसंत ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. शीर्ष अदालत ने उनके अपराध को बरकरार रखा. बीसीसीआई को सजा की अवधि कम करने की सिफारिश की थी. अगस्त 2019 में बीसीसीआई के लोकपाल डीके जैन ने आजीवन प्रतिबंध को घटाकर 7 साल कर दिया. वह सितंबर 2020 में समाप्त हो गया.