मुंबई-वैश्विक महामारी कोरोना की शुरुआत से ही मनपा कर्मचारियों का सहयोग करने के लिए नियुक्त किए गए कोरोना योद्धाओं के सामने परिवार चलाना मुश्किल हो गया है. पिछले तीन महीने से इन्हे वेतन नहीं मिलने से इनका पराक्रम जवाब दे रहा है. मुंबई मनपा ने कोरोना के संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए कुछ युवाओं को कोरोना योद्धा के रूप में भर्ती किया था। इन युवाओं का डोर-टू-डोर सर्वेक्षण के साथ कुछ अन्य गतिविधियों में मदद ली जा रही है।मनपा के अंधेरी पश्चिम स्थित ‘के-पश्चिम’ विभाग से संबद्ध 40 कोविड योद्धा पिछले तीन महीनों से बिना वेतन के काम कर रहे हैं।पीड़ित कोविड योद्धा निखिल कडने ने बताया कि वह और उसकी बहन ने जुलाई में कोविड योद्धा के रूप में काम करना शुरू किया था. लेकिन तीन महीने से वेतन नहीं मिलने से नौकरी छोड़नी पड़ी. क्योंकि तीन महीने से वेतन नहीं मिल रहा, ऊपर से हर दिन 150-200 रुपये यात्रा पर खर्च हो जाता है।
कोविड सर्वेक्षण के लिए गोरेगांव से अंधेरी लोखंडवाला जाने में दुपहिया वाहन के लिए प्रति दिन 50-70 रुपये खर्च करने पड़ते हैं। सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक काम करना पड़ता है। अप्रैल से काम कर रहे युवाओं में से कुछ को पहले दो महीनों के लिए वेतन दिया गया है, लेकिन उसके से बिना वेतन के काम कर रहे हैं। कोरोना योद्धाओं को प्रति दिन 500 रुपये के हिसाब से भुगतान किया जाता है। कोविड योद्धाओं की हाजिरी लगाने वाले गैर सरकारी संगठन नेहरू युवा केंद्र के माधव सूर्यवंशी के अनुसार फाइल स्वास्थ्य अधिकारियों को सौंप दी गई है, लेकिन इसे आगे नहीं बढ़ाया जा रहा है। इस मामले में स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. गुलनार खान ने जब सहायक आयुक्त विश्वास मोटे से जानकारी मांगी तो मोटे ने कहा कि अभी तक वेतन से वंचित कोई मेरे पास नहीं आया यदि संबंधित मुझसे मिलते हैं तो हम इस मामले को देखेंगे। बहरहाल अधिकारियों के गोलमोल जवाब से पीड़ित मदद के लिए राजनीतिक दलों से संपर्क करने की योजना बना रहे हैं. जिसके आधार पर मामले के राजनीतिक तूल पकड़ने की संभावना दिखाई दे रही है.