सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि अगर कोई रियल एस्टेट (Real Estate) कंपनी डिफॉल्ट होती है तो होमबायर्स (Homebuyers) को बैंकों के मुकाबले प्राथमिकता मिलनी चाहिए. कोर्ट ने कहा कि अगर रियल एस्टेट कंपनी बैंक का कर्ज नहीं चुका पा रही है और होमबायर्स को पोजेशन भी नहीं दे रही है तो इन मामलों में घर खरीदारों को तवज्जो मिलनी चाहिए. कोर्ट के इस फैसले से लाखों होमबायर्स को राहत मिली है.
सुप्रीम कोर्ट के अनुसार, रियल एस्टेट (रेगुलेशन एंड डिवेलपमेंट) ऐक्ट (RERA) और सिक्युरिटाइजेशन एंड रीकंस्ट्रक्शन ऑफ फायनेंशियल एसेट्स एंड एनफोर्समेंट ऑफ सिक्यूरिटीज (SARFAESI) ऐक्ट के तहत रिकवरी प्रक्रिया के बीच टकराव की स्थिति में RERA प्रभावी होगा. सरकार ने इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्टसी कोड (IBC) में बदलाव करते हुए घर खरीदारों को कंपनी का भविष्य तय करने वाली क्रेडिटर्स कमिटी का हिस्सा बना दिया था मगर बकाये के भुगतान में उन्हें प्राथमिकता नहीं दी.
जस्टिस एमआर शाह और बीवी नागरत्ना की बेंच ने राजस्थान हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की अपील खारिज करते हुए यह व्यवस्था दी. हाई कोर्ट ने आदेश में कहा था कि अगर बैंकों ने प्रमोटर के डिफॉल्ट के बाद सिक्योर्ड क्रेडिटर के रूप में पजेशन लिया है तो उनके खिलाफ रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (RERA) में शिकायत की जा सकती है.
बैंक RERA कानून के दायरे में नहीं आते हैं
यूनियन बैंक ऑफ इंडिया का कहना है कि RERA कानून के दायरे में बैंक नहीं आते हैं, क्योंकि वे इसके प्रमोटर्स नहीं हैं. ऐसे में अगर बैंक अपने तरीके से लोन रिकवरी करता है तो रेरा को दखल देने का हक नहीं है. जब एक रियल एस्टेट कंपनी समय पर प्रोजेक्ट को पूरा नहीं कर पाती है और लोन रीपेमेंट में डिफॉल्ट भी करती है तो होमबायर्स और बैंकों के बीच हमेशा क्लैश देखने को मिलता है. ऐसी घटनाओं के बाद बैंक और होमबायर्स दोनों कोर्ट का सहारा लेते हैं.
बैंक के पास लोन रिकवरी के कई विकल्प
बैंक की बात करें तो लोन रिकवरी के लिए उसके पास कई इंस्ट्रूमेंट्स हैं. इसमें IBC यानी इन्सॉल्वेंसी एक्ट और SARFAESI (सिक्यॉरिटाइजेशन एंड री-कंस्ट्रक्शन ऑफ फाइनेंशियल असेट एंड एनफोर्समेंट ऑफ सिक्यॉरिटी इंट्रेस्ट एक्ट) जैसे कानून शामिल हैं. राजस्थान हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि अगर कोई बैंक प्रमोटर के डिफॉल्ट करने पर किसी प्रोजेक्ट का पोजेशन अपने पास ले लेता है तो प्रमोटर इसकी शिकायत RERA से कर सकते हैं.