मुंबई। वैश्विक महामारी कोरोना के संकट काल में इस वर्ष होली का त्यौहार फीका रहने वाला है. पिछले साल लगे नीच योग के सूर्य ग्रहण के साथ शनि, राहु और केतु के बीच बृहस्पति होना संक्रमण का कारक माना जा रहा है. ज्योतिष के अनुसार जब तक गुरु इन ग्रहों के बीच गोचर करते रहेंगे वे शुभ फल नहीं दे पाएंगे।
हालांकि पांच अप्रैल को गुरु मकर राशि से निकल कर कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे लेकिन शनि की राशि होने के चलते वे निस्तेज ही रहेंगे। इस बीच गुरु वक्री होकर वापस मकर में आएंगे लेकिन अगले साल अपनी मीन राशि में आने के बाद ही उनका शुभ प्रभाव देश को मिलेगा क्योंकि गुरु एक राशि में लगभग 13 महीने गोचर करते हैं.
इस वर्ष होलिका दहन (Holika Dahan) 28 मार्च रविवार को भद्रा रहित मुहूर्त में प्रदोष काल में किया जाएगा। उस दिन चंद्रमा दोपहर तक सूर्य के नक्षत्र में रहेंगे और शाम को छह बजे के आसपास चंद्रमा वापस अपने नक्षत्र में हो जाएंगे। देश-दुनिया पर इस गोचर का प्रभाव देखा जाने वाला है। लोगों के बीच उल्लास का माहौल रहेगा लेकिन यह माहौल ज्यादा समय तक नहीं रहने वाला है। वहीं स्त्रियों के लिए यह समय शुभ नहीं है। क्योंकि इस दौरान शुक्र शनि से द्रष्ट रहेंगे।
बृहस्पति की दृष्टि चंद्रमा पर पड़ेगी लेकिन शनि के दुष्प्रभाव से बृहस्पति की गरिमा को ठेस पहुंचेगी। अप्रत्याशित घटना के आसार हैं जिससे लोगों के बीच भय व्याप्त होगा। अग्निकांड या फिर किसी विमान दुर्घटना की खबर देखने के लिए मिल सकती है। हालांकि त्यौहार के दौरान किसी भी तरह की हानि के आसार नहीं हैं लेकिन इस गोचर की वजह से मेदिनी प्रभाव अच्छे नहीं रहने वाले हैं।
इसकी वजह से दुनिया के किसी हिस्से में किसी प्रकार की जलीय दुर्घटना की भी संभावना है। होली के दिन तीन दुर्लभ योग यानी कि सर्वार्थ सिद्धि योग, ध्रुव योग और अमृत सिद्धि योग भी बन रहा है।
होलिका दहन मुहूर्त
28 मार्च को मुंबई में सूर्योदय सुबह 6:36 बजे और सूर्यास्त 6:51 बजे होगा। पूर्णिमा तिथि 28 मार्च को सुबह 3:27 से प्रारंभ हो रही है. जो 29 मार्च को सुबह 12:17 मिनट तक रहेगी। प्रदोष काल में शाम 6:37 से रात 8:56 बजे तक होलिका दहन का शुभ मुहूर्त है. इस तरह दो घंटे 20 मिनट का पुण्यकाल बन रहा है.