ठाणे : एक बार यदि कॉरोअण के संक्रमण में कोई व्यक्ति आ जाता है तो उसका असर उसके दिमाग पर भी पड़ता है. ऐसे में कोरोना के अस्पतालों में मरीजों की मानसिक स्थिति को सुधारने के लिए प्रत्येक अस्पताल में भाजपा ने कौन्सलर की नियुक्ति की मांग की थी. लेकिन मनपा प्रशासन ने अब तक इस पर निर्णय नहीं ले पाई है. जिसे लेकर ठाणे भाजपा अध्यक्ष व विधायक निरनजन डावखरे ने खेद जताया है और कहा कि मनपा प्रशासन इतबी=ने बड़े मुद्दे को लेकर गंभीर नजर नहीं आ रही है और आपको बतादें कि ठाणे के बालकूम स्थित कोरोना विशेष अस्पताल में दादा पाटीलवाडी का वृद्ध भिकाजी वाघुले (72) ने इस वैश्विक महामारी से तंग आकर रविवार को तीसरी मंजिल से छलांग लगाकर आत्महत्या कर ली थी. जबकि इसके पहले भी दो मरीज इस प्रकार का आत्महत्या का प्रयास कर चुके है. हलांकि दोनों सुखरूप है. इस संदर्भ में 30 अगस्त को भाजपा नेता किरीट सोमैया और विधायक निरंजन डावखरे ने ायिकत विपिन शर्मा से मुलाकात की थी. इस दौरान दोनों ने कोरोना वायरस के कारण नागरिकों के दिमाग में घुसे सगमा को दुर करने के लिए काउंसलर की नियुक्ति के लिए एक आवेदन भी आयुक्त डॉ. शर्मा को दिया था. साथ ही इस जानलेवा बीमारी से पीड़ित रोगियों के मानसिक तनाव के बारे में भी आयुक्त को अवगत विधायक डावखरे ने कराया. इस पर आयुक्त शर्मा ने आश्वासन दिया था और मनपा की ओर से पीपीई किट पहनकर रोगियों को काउंसलिंग करने के लिए आयुक्त ने आश्वासन दिया था. लेकिन इस आश्वासन की पूर्ति न किये जाने को लेकर निरंजन डावखरे ने खेद जताया है. साथ ही डावखरे का कहना है कि शहर में कोरोना मरीजों की मानसिक स्थिति बिगड़ने की अनेक घटनाएं सामने आ चुकी है. अस्पताल में वातावरण भी अच्छा नहीं है और डाक्टरोंऔर चिकत्सा कर्मचारियों द्वारा पीपीई किट पहनकर इलाज करने और कोरोना का टेस्ट पॉजिटिव आने के बाद समाज में उन्हें अलग रखने और उनके साथ किये जा रहे व्यवहार में बदलाव के कारण मरीजों की मानसिक स्थिति ख़राब हो रही है. जिसे लेकर मनपा प्रशासन को भी जागरूक होकर उचित कदम उठाना चाहिए. लेकिन इस प्रकार का कुछ भी नहीं हो रहा है जोकि ठाणे करों के लिए खेदजनक है.