जब किसी व्यक्ति पर संकट आता है तो समझ नहीं आता है कि क्या करना सही और क्या गलत है. इसलिए व्यक्ति किसी निर्णय पर आसानी से नहीं पहुंच पाता. ज्यादातर लोग सुख के बाद आए दुख को सह नहीं पाते और इसके कारण या तो डिप्रेशन में आने लगते हैं, या जल्दबाजी में कोई न कोई गलत कदम उठा लेते हैं. इसके कारण उन्हें काफी नुकसान उठाना पड़ता है.
जबकि व्यक्ति को हर परिस्थिति में अपनी बुद्धि को सम भाव में रखना चाहिए ताकि सुख आने पर अहंकार उसको न घेरे और दुख आने पर वो अपना विवेक बनाकर रखे. आचार्य चाणक्य ने अपने ग्रंथ नीतिशास्त्र में ऐसी तमाम बातों का जिक्र किया है जो व्यक्ति को दुख के समय में विवेक के साथ जीने और सही निर्णय लेने की सीख देती हैं.
1. चाहे कितनी ही मुश्किल आ जाए, हिम्मत मत हारिए और ठोस रणनीति बनाकर चरणबद्ध तरीके से आगे बढ़िए. ध्यान रखिए अगर किसी भी कार्य में सफलता प्राप्त करनी है, तो उसके लिए आपको सही रणनीति जरूर बनानी पड़ेगी. दिशाहीन होकर चलने वाले को मंजिलें नहीं मिला करतीं.
2. आचार्य चाणक्य का कहना था कि यदि व्यक्ति संकट से उबरने के लिए कुछ तैयारियां पहले से करके रखें तो मुश्किल समय से आसानी से निकला जा सकता है. इसलिए हर शख्स को धन, अन्न आदि को संचय करके रखना चाहिए. बुरे वक्त में ये आपके लिए बहुत मददगार साबित होते हैं. धन को आचार्य चाणक्य ने सच्चा मित्र बताया है.
3. खुद की सेहत का बेहतर खयाल रखें और खुद को निरोगी बनाकर रखें. तभी आप किसी भी योजना में सफलता से पार जा सकते हैं. यदि आप बीमार होंगे, तो चाहकर भी काम को बेहतर तरीके से नहीं कर पाएंगे.
4. संकट के समय में आपका पहला कर्तव्य आपके परिवार के प्रति जिम्मेदारी है. इसलिए उनकी सुरक्षा का विशेष खयाल रखना चाहिए और उनका पूरा साथ निभाना चाहिए. यदि उन पर कोई मुसीबत आ जाए तो उस मुसीबत से उन्हें निकालने का प्रयास करना चाहिए.