होली (Holi) से पूर्व रात्रि को होलिका दहन करते हैं. इस साल होलिका दहन आज (17 मार्च) दिन गुरुवार को है. पंचांग के आधार पर फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि (Phalguna Purnima) को सूर्यास्त के बाद होलिका दहन करते हैं. होलिका दहन में इस बात का ध्यान रखते हैं कि उस समय में भद्रा न हो. भद्रा में होलिका दहन वर्जित है.
बता दें कि पुरानों में होलिका दहन की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है. मान्यता है कि होलिका दहन की पूजा करने से होलिका की अग्नि में सभी दुख जलकर खत्म हो जाते हैं.
होलिका दहन की विधि
बता दें कि होलिका दहन से पहले होलिका की पूजा पूरे विधि-विधान से की जाती है. सबसे पहले होलिका पर रोली, हल्दी और गुलाल से टीका लगाया जाता है. इसके बाद जल, रोली, कच्चा सूत, बताशे, चावल, फूल, नारियल आदि को चढ़ाया जाता है. यह सब चढ़ाने के बाद होलिका के चारों ओर सात बार परिक्रमा की जाती है. मान्यता के अनुसार यह सब करने से ग्रहदोष भी दूर हो जाते हैं. होलिका दहन के समय परिवार के सभी लोग होलिका के चारों ओर इक्ट्ठा होकर बैठते हैं और उसमें साबूत मूंग और गेहूं की बाली को डालते हैं. बाद में बड़ों के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लिया जाता है.
होलिका दहन का शुभ मुहूर्त
इस बार होलिका दहन का मुहूर्त रात 9.20 बजे से 10.31 बजे तक रहने वाला है. अर्थात इस बार होलिका दहन के लिए एक घंटे से भी ज्यादा समय मिलने वाला है. वहीं रंगों के साथ खेलने वाली होली कल यानी 18 मार्च को खेली जाएगी.