शिवसेना के नेता संजय राउत ने शनिवार को बड़ा खुलासा किया. उन्होंने कहा कि शिंदे गुट की तरफ से उन्हें भी गुवाहाटी जाने का ऑफर दिया गया था. उन्होंने कहा, “मुझे भी गुवाहाटी का ऑफर मिला था लेकिन मैं वहां गया नहीं. उन्होंने इसका कारण बताते हुए कहा, “मैं बालासाहेब ठाकरे को मानने वाला हूं. जब सच आपकी तरफ हो तो किसका डर?”
दरअसल, गत 22 जून को एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना के 11 विधायक सूरत चले गए. वहां से गुवाहाटी शिफ्ट हुए. धीरे-धीरे यह संख्या 40 तक पहुंच गई. निर्दलीय और अन्य विधायकों को मिला दें तो शिंदे गुट के पास 50 विधायकों का समर्थन था. यह बगावत महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी गठबंधन सरकार के पतन का कारण बनी, जिसमें कांग्रेस और राकांपा घटक दल के रूप में शामिल थे. उद्धव ठाकरे को 29 जून की रात मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा. अगले दिन शिंदे गुट ने भाजपा के मिलकर महाराष्ट्र में नई सरकार का गठन किया और एकनाथ शिंदे ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली.
वहीं ED के सामने होने वाली पेशी को लेकर संजय राउत ने कहा, “देश का जिम्मेदार नागरिक होने के नाते देश की कोई जांच एजेंसी बुलाती तो हमें जाना चाहिए. अधिकारी मुझसे अच्छे तरीके से पेश आये मैं भी 10 घंटे तक उनके साथ रहा, दुबारा भी बुलाया जायेगा तो जाएंगे”.
बता दें कि शिवसेना नेता संजय राउत (Sanjay Raut) बीते शुक्रवार यानी 1 जुलाई को मनी लॉन्ड्रिंग केस में अपना बयान दर्ज कराने के लिए ED के समक्ष पेश हुए थे. वहां उनसे लगभग 10 घंटे से पूछताछ की गई. संजय राउत ED के दफ्तर के लिए सुबह करीब साढ़े 11 बजे निकले थे और वहां से रात करीब 10 बजे बाहर निकलते देखा गया था.