भारत में जबरन धर्मांतरण के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को तल्ख टिप्पणी की है. भाजपा के नेता और वरिष्ठ वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने कहा कि जबरन धर्मांतरण का मुद्दा बेहद गंभीर है.
पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि जबरन धर्मांतरण राष्ट्र की सुरक्षा और धर्म की स्वतंत्रता को प्रभावित करता है. इससे पहले, सर्वोच्च अदालत ने पिछले 24 सितंबर को सुनवाई दौरान जबरन धर्मांतरण के मुद्दे पर केंद्र सरकार और गृह मंत्रालय को नोटिस जारी करके जवाब मांगा था.
भाजपा के नेता और वरिष्ठ वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय की ओर से जारी याचिका में कहा गया है कि भारत में धोखाधड़ी और धमकियों के जरिए जबरन धर्मांतरण हो रहा है. याचिका में दावा किया गया है कि केंद्र सरकार इससे उत्पन्न होने वाले खतरे को नियंत्रित करने में पूरी तरह से नाकाम रही है. वरिष्ठ वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय ने कहा कि देश का एक भी जिला ऐसा नहीं है, जो जबरन धर्मांतरण से मुक्त हो.
इसके साथ ही, याचिका में यह भी कहा गया है कि भारत में जल्द ही जबरन धर्मांतरण पर रोक नहीं लगाई गई, तो निकट भविष्य में हिंदू अपने ही देश में अल्पसंख्यक बनकर रह जाएंगे. इतना ही नहीं, अश्विनी कुमार उपाध्याय की याचिका में भारत के विधि आयोग को एक रिपोर्ट तैयार करने और जबरन धर्मांतरण को नियंत्रित करने के लिए एक विधेयक लाने का निर्देश देने की मांग की गई है.
कोर्ट ने केंद्र सरकार को चेताया
सुप्रीम कोर्ट ने जबरन धर्मांतरण को ‘बहुत गंभीर’ मुद्दा करार देते हुए सोमवार को केंद्र से कहा कि वह इसे रोकने के लिए कदम उठाए और इस दिशा में गंभीर प्रयास करे. अदालत ने चेताया कि यदि जबरन धर्मांतरण को नहीं रोका गया तो एक बहुत मुश्किल स्थिति पैदा होगी. जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि सरकार प्रलोभन के जरिए धर्मांतरण पर अंकुश लगाने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में बताए.
केंद्र सरकार दाखिल करे हलफनामा
सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि जबरन धर्म परिवर्तन एक बहुत ही गंभीर मुद्दा है और जहां तक धर्म का संबंध है, यह नागरिकों की अंतरात्मा की स्वतंत्रता के साथ-साथ देश की सुरक्षा को प्रभावित कर सकता है. कोर्ट ने कहा कि इस पूरे मामले में केंद्र सरकार से अपना रुख स्पष्ट करने को कहा. इसके साथ ही धोखाधड़ी और धोखे से होने वाले धर्मांतरण को नियंत्रित करने के लिए कड़े कदम उठाने की मांग वाली याचिका पर हलफनामा दाखिल करने को कहा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले की अगली सुनवाई 28 नवंबर को होगी.