कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले साल शुरू हुआ किसान आंदोलन इन कानूनों को वापस लिये जाने के बाद बुधवार को समाप्त हो सकता है. मंगलवार को सिंघु बॉर्डर पर संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में इसे लेकर संकेत मिले हैं.
सिंघु बॉर्डर पर संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने सरकार द्वारा भेजे गये ड्राफ्ट प्रपोजल पर चर्चा की और उसके बाद किसान नेता कुलवंत संधू ने कहा कि कई मुद्दों पर सहमति बन गई है जबकि कुछ मुद्दों पर हमें स्पष्टीकरण की जरूरत है. उन्होंने बताया कि किसान आंदोलन के भविष्य पर कल फैसला हो सकता है.
कृषि कानून वापस लेने के कारण अधिकतर किसान संगठन आंदोलन वापस लेने के पक्ष में हैं. केंद्र सरकार भी एमएसपी पर कमेटी गठित करने के साथ ही आंदोलन के दौरान दर्ज मुकदमे वापस लेने पर अपनी सहमति दी है.
सूत्रों के अनुसार संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने सरकार द्वारा भेजे गये ड्रॉफ्ट प्रपोजल पर चर्चा की. किसान नेता कुलवंत संधू ने बताया कि केंद्र सरकार एमएसपी तय करने के लिए जो समिति बना रही है उसमें संयुक्त किसान मोर्चा के पांच सदस्य शामिल होंगे. लेकिन उन्हें समिति के गठन पर कुछ और स्पष्टीकरण चाहिए, जिसपर हम सरकार से सवाल कर रहे हैं.
इसके अलावा किसानों पर जो मुकदमा दर्ज किया गया है उसे भी वापस लिया जाएगा और किसानों को पंजाब मॉडल पर मुआवजा दिया जाएगा. साथ ही इन तमाम बिंदुओं पर सहमति बनने के बाद किसान आंदोलन वापस करने की घोषणा कर सकते हैं.
किसानों ने सरकार के समक्ष ये पांच मांगे रखीं हैं–
एमएसपी पर कानून बनाया जाए
किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस लिये जाए
आंदोलन के दौरान शहीद हुए किसानों के परिजनों को मुआवजा दिया जाए
पराली बिल को निरस्त किया जाए
लखीमपुरखीरी मामले में मंत्री अजय मिश्रा को बर्खास्त किया जाए
सूत्रों के हवाले से जो जानकारी मिली है उसके अनुसार सरकार की ओर से जो ड्रॉफ्ट किसानों को मिला है उसके अनुसार सरकार इस बात पर राजी है कि एमएसपी के मुद्दे को लेकर जो समिति बनाई जा रही है उसमें संयुक्त किसान मोर्चा के पांच सदस्य होंगे. साथ ही सरकार इस बात पर भी राजी है कि किसानों के खिलाफ जो मुकदमा दर्ज किया गया है उसे वापस ले लेगी और मुआवजा के मुद्दे पर भी सरकार राजी है. अजय मिश्रा के मुद्दे पर पेज फंसने की उम्मीद है.